राम कृष्ण मुज़्तर
ग़ज़ल 27
अशआर 1
क्या क्या दिल-ए-मुज़्तर के अरमान मचलते हैं
तस्वीर-ए-क़यामत है ज़ालिम तिरी अंगड़ाई
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere