रसूल जहाँ बेगम मख़फ़ी बदायूनी
ग़ज़ल 5
अशआर 2
इस ज़िंदगी ने साथ किसी का नहीं दिया
किस बेवफ़ा से तुझ को तमन्ना वफ़ा की है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere