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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Safar Naqvi's Photo'

नई नस्ल के नुमाइंदा शाइरों में शामिल, ग़ज़ल की एक उभरती हुई आवाज़, शायरी में अनासिर-ए-कर्बला को एक ज़िंदा एहसास के तौर पर पेश करने के लिए मशहूर

नई नस्ल के नुमाइंदा शाइरों में शामिल, ग़ज़ल की एक उभरती हुई आवाज़, शायरी में अनासिर-ए-कर्बला को एक ज़िंदा एहसास के तौर पर पेश करने के लिए मशहूर

सफ़र नक़वी

ग़ज़ल 19

नज़्म 2

 

अशआर 5

हम ऐसे जाएँगे ले कर बलाएँ दुनिया की

कहीं होगा कोई हादिसा हमारे बाद

हम से तय होगा ज़माने में बुलंदी का वक़ार

नोक-ए-नेज़ा से भी हम नीचे नहीं देखेंगे

इधर वो सहरा में ख़ाक धुनता उधर वो दरिया किनारे गुमसुम

अजीब होते हैं ये त'अल्लुक़ मुसाफ़िरों के मुसाफ़िरों से

उदास आँखों की वीरान माँग भरने को

ये नींद ख़्वाब का सिंदूर ले के आई है

ख़ूब जानता है ये इक फ़क़ीर हाथों में

कब है बे-कसी रखना कब है मो'जिज़ा रखना

"दिल्ली" के और शायर

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