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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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साइब टोंकी

1919 - 1986

साइब टोंकी

ग़ज़ल 10

अशआर 5

मिली तो उन से मगर फ़ुर्सत-ए-नज़र मिली

फिर उस के बा'द ख़ुद अपनी हमें ख़बर मिली

तुझे मेरी क़सम मुश्किल मिरी आसान कर

ज़ीस्त का हर मरहला दुश्वार है तेरे बग़ैर

क़दम बढ़ा कि अभी दूर है तिरी मंज़िल

शिकस्त-ए-आबला-पाई है ख़ार की हद तक

निगाह में कोई मंज़िल कोई सम्त-ए-सफ़र

हवा ख़मोश है कश्ती का बादबाँ चुप है

मिरा मक़ाम हर इक दिल में है जुदागाना

अगर यक़ीन नहीं हूँ तो एहतिमाल हूँ मैं

पुस्तकें 1

 

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