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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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सख़ी लख़नवी

1813 - 1876

सख़ी लख़नवी

ग़ज़ल 34

अशआर 53

जाएगी गुलशन तलक उस गुल की आमद की ख़बर

आएगी बुलबुल मिरे घर में मुबारकबाद को

हिचकियाँ आती हैं पर लेते नहीं वो मेरा नाम

देखना उन की फ़रामोशी को मेरी याद को

बात करने में होंट लड़ते हैं

ऐसे तकरार का ख़ुदा-हाफ़िज़

अजी फेंको रक़ीब का नामा

इबारत भली अच्छा ख़त

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बर्ग-ए-गुल मैं तेरे बोसे लूँ

तुझ में है ढंग यार के लब का

पुस्तकें 2

 

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