Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
noImage

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

1699 - 1783 | दिल्ली, भारत

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

ग़ज़ल 106

अशआर 233

क़यामत तक जुदा होवे या-रब

जुनूँ के दस्त से मेरा गरेबाँ

  • शेयर कीजिए

गुलशन-ए-दहर में सौ रंग हैं 'हातिम' उस के

वो कहीं गुल है कहीं बू है कहीं बूटा है

  • शेयर कीजिए

नहीं है शिकवा अगर वो नज़र नहीं आता

किसू ने देखी नहीं अपनी जान की सूरत

मैं उस की चश्म से ऐसा गिरा हूँ

मिरे रोने पे हँसता है मिरा दिल

रात दिन जारी हैं कुछ पैदा नहीं इन का कनार

मेरे चश्मों का दो-आबा मजम-उल-बहरैन है

मसनवी 1

 

पुस्तकें 10

 

ऑडियो 6

आब-ए-हयात जा के किसू ने पिया तो क्या

इश्क़ नहीं कोई नहंग है यारो

इश्क़ में पास-ए-जाँ नहीं है दुरुस्त

Recitation

"दिल्ली" के और शायर

Recitation

बोलिए