शकील जयपुरी के दोहे
उस को बुरा कह दे मगर सुन ले इतनी बात
अपने अंदर झाँक कर देख अपनी औक़ात
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जीवन दाता ने किया कैसा अनोखा काम
मिट्टी से आग़ाज़ है मिट्टी में अंजाम
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देखो मेरे दोस्त को जैसे सुंदर फूल
वक़्त-ए-मुसीबत यूँ गया जूँ उड़ जाए धूल
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