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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Shamim Qasmi's Photo'

शमीम क़ासमी

1954 | सासाराम, भारत

शमीम क़ासमी

ग़ज़ल 12

नज़्म 9

अशआर 3

घर में आसेब ज़लज़ले का है

इस लिए ख़ुद में ही सिमट के हैं

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मूए ने मुँह की खाई फिर भी ये ज़ोर ज़ोरी

ये रेख़्ती है भाई तुम रेख़्ता तो जानो

शहर में अम्न-ओ-अमाँ हो ये ज़रूरी है मगर

हाकिम-ए-वक़त के माथे पे लिखा ही कुछ है

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पुस्तकें 8

 

वीडियो 7

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Faza e Nam mein sadao ka shaur ho jaye

शमीम क़ासमी

Hum martaba na samjho rutba mera to jaano

शमीम क़ासमी

Kisi train ke niche kat gaya hota

शमीम क़ासमी

Missi se aur surma o kakul se kya miyan

शमीम क़ासमी

Sabse pehle to arz matla hai

शमीम क़ासमी

Sayyal tasawwur hai-hai ubalne ki tarah ka_

शमीम क़ासमी

Ye aur baat ke gamle mein ug raha hun main

शमीम क़ासमी

ऑडियो 6

किसी ट्रेन के नीचे वो कट गया होता

फ़ज़ा-ए-नम में सदाओं का शोर हो जाए

ये और बात कि गमले में उग रहा हूँ मैं

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