शौक़ क़िदवाई
ग़ज़ल 14
अशआर 4
इतरा के आईना में चिढ़ाते थे अपना मुँह
देखा मुझे तो झेंप गए मुँह छुपा लिया
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
मसअला कसरत में वहदत का हुआ हल तुम से ख़ूब
एक ही झूट और तुम्हारे लाख इक़रारों में है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ये दिल की बात ही मुँह से अदा नहीं होती
मैं क्या कहूँ कि यहाँ बार बार क्यूँ आया
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
जुनून को वो बनावट समझ रहा है अभी
ये सुन लिया है किसी से कि मेरे घर भी है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए