श्याम वशिष्ठ शाहिद
ग़ज़ल 6
अशआर 1
लो चाय में भी चाय की पत्ती नहीं डाली
तुम को तो मोहब्बत के सिवा कुछ नहीं आता
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere