Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Siraj Ajmali's Photo'

सिराज अजमली

1966 | अलीगढ़, भारत

मुआसिर ग़ज़ल के अहम शायरों में शुमार, ग़ज़ल में बालीदा फ़िक्र, तवाना एहसासात, रिवायती और जदीद इज़हार का संगम

मुआसिर ग़ज़ल के अहम शायरों में शुमार, ग़ज़ल में बालीदा फ़िक्र, तवाना एहसासात, रिवायती और जदीद इज़हार का संगम

सिराज अजमली

ग़ज़ल 11

अशआर 6

यूँ सरापा इल्तिजा बन कर मिला था पहले रोज़

इतनी जल्दी वो ख़ुदा हो जाएगा सोचा था

जो नहीं होता बहुत होती है शोहरत उस की

जो गुज़रती है वो अशआ'र में आती ही नहीं

उसे जिस शब मधुर आवाज़ में गाना था लाज़िम

रिवायत है कि उस शब भी परिंदा चुप रहा था

शाम मिम्बर पर फ़ज़ीलत के बहुत संजीदा फ़रहाँ

सुब्ह-दम अफ़्सुर्दगी के फ़र्श पर बिखरा हुआ मैं

जिस रात में हिज्र हो ने वस्ल 'अजमली'

उस रात में कहाँ की ग़ज़ल जागते रहो

संबंधित शायर

"अलीगढ़" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here

बोलिए