सय्यद सादिक़ हुसैन
ग़ज़ल 1
अशआर 1
तुंदी-ए-बाद-ए-मुख़ालिफ़ से न घबरा ऐ उक़ाब
ये तो चलती है तुझे ऊँचा उड़ाने के लिए
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere