ताबिश मेहदी
ग़ज़ल 12
अशआर 10
अगर फूलों की ख़्वाहिश है तो सुन लो
किसी की राह में काँटे न रखना
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ख़ता मैं ने कोई भारी नहीं की
अमीर-ए-शहर से यारी नहीं की
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
फ़रिश्तों में भी जिस के तज़्किरे हैं
वो तेरे शहर में रुस्वा बहुत है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मिरे ऐबों को गिनवाया तो सब ने
किसी ने मेरी ग़म-ख़्वारी नहीं की
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ये माना वो शजर सूखा बहुत है
मगर उस में अभी साया बहुत है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए