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त्रिपुरारि

1986 | मुंबई, भारत

त्रिपुरारि

ग़ज़ल 14

नज़्म 5

 

अशआर 22

हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियो

और कहियो कि कोई याद किया करता है

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कितनी दिलकश हैं ये बारिश की फुवारें लेकिन

ऐसी बारिश में मिरी जान भी जा सकती है

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तुम जिसे चाँद कहते हो वो अस्ल में

आसमाँ के बदन पर कोई घाव है

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मोहब्बत में शिकायत कर रहा हूँ

शिकायत में मोहब्बत कर रहा हूँ

जिसे तुम ढूँडती रहती हो मुझ में

वो लड़का जाने कब का मर चुका है

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चित्र शायरी 4

 

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