याक़ूब तसव्वुर
ग़ज़ल 10
नज़्म 5
अशआर 1
सुनाई मैं ने तो मुझ से ख़फ़ा हुए क्यूँ लोग
किसी का नाम मिरी दास्ताँ में था ही नहीं
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere