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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Zehra Nigaah's Photo'

पाकिस्तान की अग्रणी शायरात में विख्यात।

पाकिस्तान की अग्रणी शायरात में विख्यात।

ज़ेहरा निगाह

ग़ज़ल 46

नज़्म 39

अशआर 49

अब इस घर की आबादी मेहमानों पर है

कोई जाए तो वक़्त गुज़र जाता है

इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं

आने वाले बरसों ब'अद भी आते हैं

नहीं नहीं हमें अब तेरी जुस्तुजू भी नहीं

तुझे भी भूल गए हम तिरी ख़ुशी के लिए

छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता था

पर बड़ी बात पे चुप रहना तुम्ही से सीखा

कहाँ के इश्क़-ओ-मोहब्बत किधर के हिज्र विसाल

अभी तो लोग तरसते हैं ज़िंदगी के लिए

बच्चों की कहानी 1

 

पुस्तकें 6

 

चित्र शायरी 4

 

वीडियो 57

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वीडियो का सेक्शन
हास्य वीडियो

ज़ेहरा निगाह

aaj ke din na pucho mere dosto

ज़ेहरा निगाह

taazaa hai abhi yaad mein ai saqi-e-gulfaam

ज़ेहरा निगाह

आँखों में किसी याद का रस घोल रही हूँ

ज़ेहरा निगाह

ईरानी तलबा के नाम

ये कौन सख़ी हैं ज़ेहरा निगाह

bol

बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे ज़ेहरा निगाह

do ishq

(1) ज़ेहरा निगाह

KHurshid-e-mahshar ki lau

आज के दिन न पूछो मिरे दोस्तो ज़ेहरा निगाह

ईरानी तलबा के नाम

ये कौन सख़ी हैं ज़ेहरा निगाह

क्या करें

मिरी तिरी निगाह में ज़ेहरा निगाह

किसी कली ने भी देखा न आँख भर के मुझे

ज़ेहरा निगाह

गए दिनों का सुराग़ ले कर किधर से आया किधर गया वो

ज़ेहरा निगाह

जिस रोज़ क़ज़ा आएगी

किस तरह आएगी जिस रोज़ क़ज़ा आएगी ज़ेहरा निगाह

दुआ

आइए हाथ उठाएँ हम भी ज़ेहरा निगाह

दयार-ए-दिल की रात में चराग़ सा जला गया

ज़ेहरा निगाह

दरीचा

गड़ी हैं कितनी सलीबें मिरे दरीचे में ज़ेहरा निगाह

दिल-ए-मन मुसाफ़िर-ए-मन

मिरे दिल, मिरे मुसाफ़िर ज़ेहरा निगाह

मता-ए-लौह-ओ-क़लम छिन गई तो क्या ग़म है

ज़ेहरा निगाह

ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर

ज़ेहरा निगाह

ये शब ये ख़याल-ओ-ख़्वाब तेरे

ज़ेहरा निगाह

वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया

ज़ेहरा निगाह

सुब्ह की आज जो रंगत है वो पहले तो न थी

ज़ेहरा निगाह

ऑडियो 26

अपना हर अंदाज़ आँखों को तर-ओ-ताज़ा लगा

गर्दिश-ए-मीना-ओ-जाम देखिए कब तक रहे

बस्ती में कुछ लोग निराले अब भी हैं

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