संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल46
नज़्म39
शेर49
ई-पुस्तक6
चित्र शायरी 4
ऑडियो 26
वीडियो57
बच्चों की कहानी1
ब्लॉग1
ज़ेहरा निगाह
ग़ज़ल 46
नज़्म 39
अशआर 49
अब इस घर की आबादी मेहमानों पर है
कोई आ जाए तो वक़्त गुज़र जाता है
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इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं
आने वाले बरसों ब'अद भी आते हैं
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नहीं नहीं हमें अब तेरी जुस्तुजू भी नहीं
तुझे भी भूल गए हम तिरी ख़ुशी के लिए
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छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता था
पर बड़ी बात पे चुप रहना तुम्ही से सीखा
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कहाँ के इश्क़-ओ-मोहब्बत किधर के हिज्र ओ विसाल
अभी तो लोग तरसते हैं ज़िंदगी के लिए
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बच्चों की कहानी 1
चित्र शायरी 4
बैठे बैठे कैसा दिल घबरा जाता है जाने वालों का जाना याद आ जाता है बात-चीत में जिस की रवानी मसल हुई एक नाम लेते में कुछ रुक सा जाता है हँसती-बस्ती राहों का ख़ुश-बाश मुसाफ़िर रोज़ी की भट्टी का ईंधन बन जाता है दफ़्तर मंसब दोनों ज़ेहन को खा लेते हैं घर वालों की क़िस्मत में तन रह जाता है अब इस घर की आबादी मेहमानों पर है कोई आ जाए तो वक़्त गुज़र जाता है
वीडियो 57
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