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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

मीर तक़ी मीर की ज़मीनों पर कही गई ग़ज़लें

ख़ुदा-ए-सुख़न कहे जाने

वाले मीर तक़ी मीर उर्दू अदब का वो रौशन सितारा हैं, जिन्होंने नस्ल-दर-नस्ल शायरों को मुतास्सिर किया. यहाँ उनकी ज़मीन पर लिखी गई चन्द ग़ज़लें दी जा रही हैं, जो मुख़्तलिफ़ शायरों ने उन्हें खिराज पेश करते हुए कही.

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वफ़ा करने आए जफ़ा कर चले

हामिद अज़ीमाबादी

अहल-ए-दिल गर जहाँ से उठता है

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

लो फ़क़ीरों की दुआ हर तरह आबाद रहो

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

कोई कर सकता है यारो जैसा मैं ने काम किया

मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार
बोलिए