स्टोरीलाइन
एक ऐसे शख़्स की कहानी, जो तन्हा है और वक़्त गुज़ारी के लिए हर रोज शाम को शराब-ख़ाने में जाता है। वहाँ अपने रोज़ के साथियों से उसकी बातचीत होती है और फिर वह पेड़ों के झुरमुट के पीछे छुपे अपने मकान में आ जाता है। मकान उसे किसी क़ैदख़ाने की तरह लगता है। वह मकान से निकल पड़ता है और क़ब्रिस्तान, पहाड़ियों और दूसरी जगहों से गुज़रते, लोगों के मिलते और उनके साथ वक़्त गुज़ारते हुए वह इस नतीजे पर पहुँचता है कि यह ज़िंदगी ही एक क़ैदख़ाना है।