aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
बेटा (माँ से): अम्मी एक शख़्स को जिन का पर्स मिला है। माँ : तुम्हें कैसे पता चला वो जिन का पर्स है। बेटा: वो आदमी कह रहा था जिन का पर्स है, आ कर ले जाएँ।
उस्ताद: ‘नाक में दम करना’ को जुमले में इस्तिमाल करें। शागिर्द: अतीक़ को सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी, मौलवी साहब ने दुआ पढ़ कर नाम में दम कर दिया।
बच्चा: अब्बा जान, मैं हमीद के साथ खेलने जाऊँ? अब्बा: नहीं, वो बहुत शरारती है। बच्चा: फिर मैं उस से लड़ने जा रहा हूँ!
एक चोर मकान में दाख़िल हुआ। तिजोरी पर लिखा था “बटन दबाईए” चोर ने बटन दबाया तो सायरन बज उठा और चोर पकड़ा गया। वो अदालत में पेश किया गया। जज ने चोर से कहा: “तुम अपनी सफ़ाई में कुछ कहना पसंद करोगे।” चोर ने उदास लहजे में कहा: “में इस से ज़्यादा और कुछ
उस्ताद शागिर्द से पूछा: ‘‘बताओ बेटे। दीवान ख़ाना किसे कहते हैं" शागिर्द ने जवाब दिया: ''दीवान ख़ाना उस को कहते हैं जहाँ बहुत से दीवाने रहते हूँ।‘‘
एक सय्याह किसी गाँव में गया वहाँ एक देहाती से पूछा। यहाँ किसी ने अपना नाम रौशन किया है। नहीं जनाब यहाँ तो अभी तक बिजली नहीं आई
बाजी: (पढ़ाते हुए) अच्छा ख़ालिद बताओ दो और तीन कितने होते हैं। ख़ालिद: पाँच बाजी: शाबाश! लो ये पाँच चॉकलेट ख़ालिद: (पछताते हुए) अगर मुझे ये मालूम होता तो बीस बताता बीस।
उस्ताद : ‘’वो कौन सी चीज़ है। जो हर तरफ़ फैली हुई है और अगर हम कमरे के किवाड़ बंद कर दें तो भी अंदर आ जाएगी। लड़का : जले हुए सालन की बू।
एक बूढ़ी औरत रास्ते से जा रही थी रास्ते में वो एक साईकल से टकरा गई। साईकल सवार के दाढ़ी भी थी। बूढ़ी ने कहा कि “इतनी बड़ी दाढ़ी रख कर टक्कर देते हो तुम्हें शर्म नहीं आती” उस आदमी ने कहा “ये दाढ़ी है, ब्रेक थोड़ी ही है।”
बाप सो रहा था और उस के ख़र्राटे गूंज रहे थे। नन्हा बच्चा क़रीब ही खिलौनों से खेल रहा था। अचानक बाप ने करवट ली और ख़र्राटे बंद हो गए बच्चे ने बाप की तरफ़ देखा और चिल्लाया: “अम्मी। अम्मी जल्दी आओ। अब्बू का इंजन ख़राब हो गया है”
नाई: छोटे साहब, आपकी उम्र क्या है? राकेश: सात साल। नाई: बाल कटवाएँगे? राकेश: तो क्या मैं दाढ़ी बनवाने आया हूँ।
गाहक: इस भैंस की क़ीमत दस हज़ार बहुत ज़्यादा है इस की तो एक आँख भी नहीं है। मालिक: आपको इस का दूध दूहना है या इस से कशीदाकारी करानी है।
उस्ताद: अगर तुम मग़रिब की तरफ़ जाओ तो क्या होगा? शागिर्द: होगा क्या। मैं ग़ुरूब हो जाऊँगा।
दो बच्चे बड़े मुसन्निफ़ों के बारे में गुफ़्तगु करते हुए इस नतीजे पर पहुंचे ''ख़त्म शुद'' बहुत बड़ा मुसन्निफ़ है इस का नाम हज़ारों किताबों पर देखा है।
एक साहब अशरफ़ नामी ने अशरफ़ नगर से अपनी बीवी शरीफन को अशरफ़ी भेजी। नौकर : सरीफन बीवी को असरफ बाबू ने असरफी भेजी है। बीवी : अरे मूए कहीं तो शीन बोला होता। नौकर: शब को शलाम कहा है।
एक आदमी अपने घर के सामने मिट्टी में लोट-पोट हो रहा था। आख़िर दो तीन मोअज़्ज़िज़ीन ने उसे रोक कर पूछा। “तुम किस मुसीबत में मुब्तला हो?” उसने जवाब दिया। “तुम जाहिल क्या जानो। मैं उस फ़लसफ़े पर अमल कर रहा हूँ कि दाना ख़ाक में मिलकर गुल-ओ-गुलज़ार होता
एक लड़का पार्क में साईकल चला रहा था। उस की माँ बड़े फ़ख़्र से उसे देख रही थी। पहले चक्कर में जब लड़का माँ के क़रीब से गुज़रा तो कहा देखिए “अम्मी हाथों के बग़ैर” दूसरे चक्कर में आवाज़ लगाई “देखिए अम्मी पैरों के बग़ैर।” तीसरे चक्कर में वो बड़ी देर बाद आया तो रोनी
एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन बकरी का गोश्त लेकर आए और बीवी को जल्दी से पकाने की हिदायत कर के वापस चले गए। बीवी ने गोश्त पकाया। इतने में उनकी दो सहेलियाँ आ गईं। बीवी ने उन्हें खाना खिलाया और ख़ुद भी खाया। सारा गोश्त ख़त्म हो गया। मुल्लाजी वापस आए तो उनके सामने
हिसाब के मास्टर साहिब ने पूछा "एक दरख़्त पर पाँच चिड़ियाँ बैठी थीं। किसी ने बंदूक़ मारी।" दो चिड़ियाँ गिर पड़ीं "बताओ दरख़्त पर कितनी चिड़ियाँ रह गईं?" लड़के ने जवाब दिया। “एक भी नहीं” मास्टर साहिब ने कहा: “वो कैसे?” लड़का बोला:। “बंदूक़
एक शहरी आदमी और एक किसान एक साथ सफ़र कर रहे थे। शहरी आदमी ने किसान से कहा आओ हम एक दूसरे से पहेलियाँ बूझवाते हैं जो पहेली ना बूझे उसे पाँच सौ रुपये देने पड़ेंगे। किसान बोला: नहीं जनाब! आप पढ़े लिखे हैं, आप पाँच सौ रुपये, दीजिएगा, मैं दो सौ रुपये दूँगा। शहरी
उस्ताद (शागिर्द से): दस्तक को जुम्ले में इस्तिमाल करो। शागिर्द : जनाब मझे दस तक गिनती आती है।
उस्ताद (नादिर से) “पाँच फलों के नाम बताओ।” नादिर: “दो सेब, दो माल्टे और एक अमरूद।”
बाराती घोड़ा एक घोड़ा जब चलते चलते रुक जाता तो कोचवान उतर कर उस के सामने गाना गाता। गाना सुनकर घोड़ा फिर चलने लगता। आख़िर तंग आकर ताँगे में बैठी हुई सवारी ने कोचवान से पूछा। “भई ये क्या क़िस्सा है। तुम्हारा घोड़ा गाना सुनकर क्यों चलता है?” कोचवान
उस्ताद (शागिर्द से): पानी पानी होना का जुमला बनाओ। शागिर्द (मासूमियत से) : मैं ने बर्फ़ का टुकड़ा धूप में रखा तो वो पानी पानी गया।
एक बार एक आदमी ने मुल्ला जी से पूछा, आपकी उम्र क्या है? उन्होंने कहा, चालीस साल। बात आई गई हुई। कोई दस साल गुज़र गए। फिर किसी ने उनसे पूछा, आपकी उम्र क्या है? मुल्ला जी ने फिर वही जवाब दिया, चालीस साल। उस वक़्त उनके पास कुछ वो लोग भी खड़े थे जिन्होंने
फुटबॉल के दो खिलाड़ी बातें कर रहे थे एक बोला। “मैं ने एक दिन फुटबॉल इतनी ऊँची फेंकी कि पूरे दो घंटे बाद वापस आई।” दूसरा बोला: ये तो कुछ भी नहीं है मैं ने एक दिन फुटबॉल इतनी ऊँची फेंकी कि वो दो दिन बाद वापस आई और उस के साथ एक पर्ची भी थी। जिस पर
उस्ताद (शागिर्द से) बुत-परस्त किसे कहते हैं? शागिर्द: बुतों की पूजा करने वाले को। उस्ताद: शाबाश! अच्छा ये बताओ सर-परस्त किसे कहते हैं? शागिर्द: सर की पूजा करने वाले को।
जब अल्लामा इक़बाल की उम्र ग्यारह बरस की थी और वो स्कूल में पढ़ते थे तो एक दिन उनको स्कूल पहुंचने में देर हो गई। मास्टर साहब ने पूछा। “इक़बाल देर से क्यों आए?” अल्लामा इक़बाल ने बे-साख़्ता जवाब दिया। “इक़बाल देर ही में आता है।”
एक आदमी डाक्टर के पास गया और बोला डाक्टर साहब मैं सोता हूँ तो ख़्वाब में बंदरों को फूटबॉल खेलता हुआ देखता हूँ। डाक्टर : ये दवा आज सोने से पहले खा लेना। आदमी : नहीं डाक्टर साहब आज नहीं। डाक्टर : क्यूँ आदमी : दरअसल आज उनका फाईनल मैच है।
कंजूस की झक कंजूस: अपने मेहमान से। क्यों भाई दूध पियोगे या शर्बत। मेहमान: दूध ले आओ। कंजूस: कप में या गिलास में। मेहमान: गिलास में ले आओ। कंजूस: गिलास शीशे का हो या स्टेन लेन स्टील का। मेहमान: शीशे का। कंजूस: गिलास सादा हो या फूलदार। मेहमान:
बारिश से बचने के लिए दो बच्चे एक हाल में घुस गए। वहाँ मॉर्डन आर्ट की नुमाइश हो रही थी, जैसे ही एक बच्चे की नज़र एक तस्वीर पर पड़ी, वो दूसरे से बोला, ''चलो, यहाँ से चलें। कहीं लोग ये ना कहें कि तस्वीर हमने ख़राब की है।”
उस्ताद : मदारी की जमा? शार्गिद : मदीरान।
मास्टर : बताओ हसन तिनके की जमा क्या है । हसन : घोंसला।
क्लास में दो लड़के शोर मचा रहे थे कि टीचर आगए। सज़ा के तौर पर टीचर ने दोनों को दो सौ-बार अपना नाम लिखने को कहा। एक लड़का लिखने लगा जबकि दूसरा रोने लगा। टीचर ने उस से रोने की वजह पूछी। जवाब मिला। “सर! उस का नाम सिर्फ़ नासिर है। जबकि मेरा नाम मोहम्मद
साइंस के उस्ताद ने तलबा को दूध के उनवान पर मज़मून लिखने को कहा। मज़मून के बारे में उस्ताद ने हिदायत दी कि उसे कम-अज़-कम चार सफ़्हात पर मुश्तमिल होना चाहिए। एक शागिर्द ने थोड़ी देर बाद ही एक सफ़्हा लिख कर उस्ताद को दिखाया तो उस्ताद ने नाराज़गी से कहा। “नालायक़
एक दफ़ा का ज़िक्र है कि दो चोर किसी मकान में चोरी करने के लिए गए। वहाँ एक चोर से कोई चीज़ टकरा गई तो उसने कहा “मियाऊँ मियाऊँ” मालिक मकान समझा कि बिल्ली होगी। इत्तिफ़ाक़ से दूसरे की भी किसी चीज़ से टक्कर हुई, वो घबरा गया कि क्या करे जब कुछ बन ना पड़ा तो
उस्ताद ने शागिर्द से पूछा: ‘‘तुम आज देर से स्कूल क्यों आए हो?’’ ‘‘सर मैं गिर गया था लग गई।’’ शागिर्द ने बताया। ‘‘क्या मतलब कहाँ गिर गए थे क्या लग गई।’’ उस्ताद ने फिर पूछा। ‘‘सर मैं बिस्तर पर गिर गया था और आँख लग गई थी’’ शागिर्द ने कहा।
लड़की (लड़की पप्पू से): मुझे बस इस जवाब का शुरू बता दो बाक़ी मैं ख़ुद लिख लूँगी?। पप्पू ने इधर उधर ध्यान से देख फिर धीरे से बोला: THE
दो चोर किसी मकान में जा घुसे। उनमें से एक ज़रा अक़्लमंद था। अंधेरे में इस की किसी चीज़ से टक्कर हो गई। मालिक मकान जाग उठा और पूछा कौन। अक़्लमंद चोर ने बिल्ली की आवाज़ बना कर कहा "मियाऊँ" मालिक समझा सच-मुच बिल्ली होगी। इत्तिफ़ाक़ से दूसरे साहिब भी किसी चीज़
“देखना बेटा इस वक़्त क्या बज रहा है?” बाप ने बेटे से पूछा। बेटा बोला: “अब्बा जान रेडियो बज रहा है।”
टीचर ने बच्चों को सिगरेट के नुक़्सानात बताने के लिए एक कीड़ा लिया और सिगरेट के धुएँ में रखा तो वो मर गया। टीचर (बच्चों से): आप ने इस से क्या सीखा? पप्पू: यही सीखा कि सिगरेट पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं ।
उस्ताद : क्यूँ कहा जाता है कि शीशे के मकान में बैठ कर पत्थर नहीं मारने चाहिए। शागिर्द : इस तरह सबको पता लग जाता है कि पत्थर कौन मार रहा है।
उस्ताद ने बच्चों से पूछा। “तुम अठारहवीं सदी के साइंसदानों के मुतअल्लिक़ क्या जानते हो?” एक बच्चे ने जवाब दिया। “जनाब सब मर गए।”
अरशद: मैं बचपन में बहुत ताक़तवर होता था। आमिर: वो कैसे? अरशद: मेरी अम्मी कहती हैं कि बचपन में, मैं जब रोता था तो सारा घर सर पर उठा लेता था।
मुल्ला जी के एक पड़ोसी ने थोड़ी देर के लिए उनका गधा मांगा। मुल्ला जी अपना गधा देना नहीं चाहते थे। उन्होंने बहाना किया, गधा यहाँ नहीं है। उसी वक़्त मकान के पीछे से गधे के रेंकने की आवाज़ सुनाई दी। पड़ोसी ने शिकायत की, मुल्ला जी, आपने तो कहा था कि गधा नहीं
ताहिर (दादा-जान को मुस्कुराते देख कर) : दादा-जान! आप रिसाला पढ़ते हुए मुस्कुरा क्यों रहे हैं?। दादा: बेटा! जब मैं तुम्हारी उम्र का था तो मैं ने रिसाले में उस वक़्त एक लतीफ़ा लिख कर भेजा था, वो आज शाए हुआ है।
एक मर्तबा मुल्ला जी गधे पर तरकारी लाद कर बेचने के लिए निकले। जब वो आवाज़ लगाते तो गधा भी साथ साथ रेंकता और उनकी आवाज़ सुनाई न देती। वो एक सड़क पर पहुंचे जहाँ बहुत बड़ा मजमा था। उन्होंने बहुत ज़ोर से सदा लगाई और गधा भी उनके साथ साथ इतने ज़ोर से रेंका कि उनकी
एक बच्चा टार्च से किताब पर रौशनी डाल रहा था। माँ ने देखकर पूछा। “ये तुम किताब पर रौशनी क्यों डाल रहे हो?” बच्चे ने जवाब दिया। “अम्मी किताब में लिखा हुआ है कि इस मज़्मून पर रौशनी डालिए।”
एक चोर किसी के घर में चोरी की नीयत से दाख़िल हुआ और मालिक मकान के तकिए के नीचे से चाबियाँ तलाश करने लगा। मालिक की आँख खुल गई। कमरे में अंधेरा था। मालिक ने पूछा: “कौन है?” चोर ने मुँह से बिल्ली की आवाज़ निकाली “म्याऊँ।” मालिक ने फिर पूछा: “कौन
फ़ैसल अपने दोस्त अफ़ज़ल से कहने लगा। “अरे दोस्त! तुम्हारे सर के बाल तो सफ़ैद हैं और मगर मूँछें क्यों काली हैं?” "जनाब! मूँछें तो सर के बालों से बीस साल बाद पैदा हुई थीं"। अफ़ज़ल ने जवाब दिया
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