शादाँ
यह कहानी अमीर घरों के मर्दों द्वारा उनके यहाँ काम करने वाली ग़रीब, पीड़ित और कमसिन लड़कियों के यौन शोषण पर आधारित है। ख़ान बहादुर मोहम्मद अस्लम ख़ान बहुत संतुष्ट और ख़ुशहाल ज़िंदगी गुज़ार रहे थे। उनके तीन बच्चे थे, जो स्कूल के बाद सारा दिन घर में शोर-गु़ल मचाते रहते थे। उन्हीं दिनों एक ईसाई लड़की शादां उनके घर में काम करने आने लगी। वह भी बच्ची थी, पर अचानक ही उसमें जवानी के रंग-ढंग दिखने लगे। फिर एक रोज़ ख़ान साहब को शादां के बलात्कार के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। शादां तो उसी रोज़ मर गई थी और ख़ान साहब भी सबूतों के अभाव में बरी हो गए थे।
सआदत हसन मंटो
फुंदने
कहानी का मौज़ू सेक्स और हिंसा है। कहानी में एक साथ इंसान और जानवर दोनों को पात्र के रूप में पेश किया गया है। जिन्सी अमल से पैदा होने वाले नतीजों को स्वीकार न कर पाने की स्थिति में बिल्ली के बच्चे, कुत्ते के बच्चे, ढलती उम्र की औरतें जिनमें जिन्सी कशिश बाक़ी नहीं, वे सब के सब मौत का शिकार होते नज़र आते हैं।
सआदत हसन मंटो
जुवारी
यह एक शिक्षाप्रद और हास्य शैली में लिखी गई कहानी है। जुवारियों का एक समूह बैठा हुआ ताश खेल रहा था कि उसी वक़्त पुलिस वहाँ छापा मार देती है। पुलिस के पकड़े जाने पर हर जुवारी अपनी इज्ज़त और काम को लेकर परेशान होता है। जुवारियों का मुखिया नक्को उन्हें दिलासा देता है कि थानेदार उसका जानने वाला है और जल्द ही वे छूट जाएँगे। लेकिन छोड़ने से पहले थानेदार उन्हें जो सज़ा देता है वह काफ़ी दिलचस्प है।
ग़ुलाम अब्बास
सेराज
यह एक ऐसी नौजवान वेश्या की कहानी है, जो किसी भी ग्राहक को ख़ुद को हाथ नहीं लगाने देती। हालाँकि जब उसका दलाल उसका सौदा किसी से करता है, तो वह ख़ुशी-ख़ुशी उसके साथ चली जाती है, लेकिन जैसे ही ग्राहक उसे कहीं हाथ लगाता है कि अचानक वह उससे झगड़ने लगती है। दलाल उसकी इस हरकत से बहुत परेशान रहता है, पर वह उसे ख़ुद से अलग भी नहीं कर पाता है, क्योंकि वह उससे मोहब्बत करने लगा है। एक दिन वह दलाल को लेकर लाहौर चली जाती है। वहाँ वह उस नौजवान से मिलती है, जो उसे घर से भगाकर एक सराय में अकेला छोड़ गया था।
सआदत हसन मंटो
शैदा
यह अमृतसर के एक मशहूर गुंडे की अपनी ग़ैरत के लिए एक पुलिस वाले का क़त्ल कर देने की कहानी है। शैदा का सिद्धांत था कि जब भी लड़ो दुश्मन के इलाक़े में जाकर लड़ो। वह लड़ाई भी उसने पटरंगों के मोहल्ले में जाकर की थी, जिसके लिए उसे दो साल की सजा हुई थी। उस लड़ाई में पटरंगो की एक लड़की उस पर फ़िदा हो गई थी। जेल से छूटने पर जब वह उससे शादी की तैयारी कर रहा था तो एक पुलिस वाले ने उस लड़की का रेप कर के मार दिया। बदले में शैदा ने उस पुलिस वाले का सिर कुल्हाड़ी से काटकर धड़ से अलग कर दिया।
सआदत हसन मंटो
हामिद का बच्चा
हामिद नाम के एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो मौज-मस्ती के लिए एक वेश्या के पास जाता रहता है। पर जल्दी ही उसे पता चलता है कि वह वेश्या उससे गर्भवती हो गई है। इस ख़बर को सुनकर हामिद डर जाता है। वह वेश्या को उसके गाँव छोड़ आता है। उसके बाद वह योजना बनाता है कि जैसे ही बच्चा पैदा होगा वह उसे दफ़न कर देगा। मगर बच्चे की पैदाइश के बाद जब वह उसे दफ़न करने गया तो उसने एक नज़र बच्चे को देखा। बच्चे की शक्ल हू-ब-हू उस वेश्या के दलाल से मिलती थी।
सआदत हसन मंटो
मोहब्बत का जोग
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसे एक रोज़ दरिया पर घूमते वक़्त एक बेहद ख़ूबसूरत लड़की दिखाई देती है। जब वह उसकी तलाश में दोबारा जाता है तो वह उसे कहीं नहीं मिलती। उस लड़की का उस पर ऐसा नशा होता है कि वह रात-दिन उसी के विचारों में खोया रहता है। कुछ दिनों बाद दरिया के उसी किनारे पर उसे एक साधू मिलता है। साधू उसे उस लड़की से मिलने का ऐसा उपाय बताता है कि जिसके पूरा होते ही उसकी पूरी ज़िंदगी बदल कर रह जाती है।
मजनूँ गोरखपुरी
नमक का दारोग़ा
यह कहानी समाज की यथार्थ स्थिति का उल्लेख करती है। मुंशी वंशीधर एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति हैं जो समाज में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल क़ायम करते हैं। यह कहानी अपने साथ कई उद्देश्यों का पूरी करती है। इसके साथ ही इस कहावत को भी चरितार्थ करती है कि ईमानदारी की जड़ें पाताल में होती हैं।
प्रेमचंद
चोरी
यह एक ऐसे बूढ़े बाबा की कहानी है जो अलाव के गिर्द बैठ कर बच्चों को अपनी ज़िंदगी से जुड़ी कहानी सुनाता है। कहानी उस वक़्त की है जब उसे जासूसी नॉवेल पढ़ने का दीवानगी की हद तक शौक़ था और अपने उस शौक़ को पूरा करने के लिए उसने किताबों की एक दुकान से अपनी पसंद की एक किताब चुरा ली थी। उस चोरी ने उसकी ज़िंदगी को कुछ इस तरह बदला कि वह सारी उम्र के लिए चोर बन गया।
सआदत हसन मंटो
साढ़े तीन आने
इस कहानी में सत्ताधारी और शासक वर्ग पर शदीद तंज़ किया गया है। रिज़वी जेल से बाहर आने के बाद एक कैफे़ में बैठ कर फ़ल्सफ़ियाना अंदाज़ में सामाजिक अन्याय की बात करता है कि किस तरह ये समाज एक-एक ईमानदार इंसान को चोर और क़ातिल बना देता है। इस सिलसिले में वो फग्गू भंगी का ज़िक्र करता है जिसने बड़ी ईमानदारी से उसके दस रुपये उस तक पहुँचाए थे। ये वही फग्गू भंगी है जिसको वक़्त पर तनख़्वाह न मिलने की वजह से साढे़ तीन आने चोरी करने पड़ते हैं और उसे एक साल की सज़ा मिलती है।
सआदत हसन मंटो
सौ कैंडल पॉवर का बल्ब
"इस कहानी में इंसान की स्वाभाविक और भावनात्मक पहलूओं को गिरफ़्त में लिया गया है जिनके तहत वो कर्म करते हैं। कहानी की केन्द्रीय पात्र एक वेश्या है जिसे इस बात से कोई सरोकार नहीं कि वो किस के साथ रात गुज़ारने जा रही है और उसे कितना मुआवज़ा मिलेगा बल्कि वो दलाल के इशारे पर कर्म करने और किसी तरह काम ख़त्म करने के बाद अपनी नींद पूरी करना चाहती है। आख़िर-कार तंग आकर अंजाम की परवाह किए बिना वो दलाल का ख़ून कर देती है और गहरी नींद सो जाती है।"
सआदत हसन मंटो
काली तित्री
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी है, जो अपने साथी डाकुओं के साथ मिलकर अपनी ही बहन के घर में डाका डालता है। जब वे गहने चुराकर जाने लगते हैं तो ग़लती से उनका एक साथी गोली चला देता है। इससे पूरा गाँव जाग जाता है। गाँव वालों से बाक़ी डाकू तो बचकर निकल जाते हैं लेकिन काली तितरी फँस जाता है। गाँव के कई लोग उसे पहचान लेते हैं और उनमें से एक आगे बढ़कर एक ही वार में उसकी पेट की अंतड़िया बाहर कर देता है।
बलवंत सिंह
मोमबत्ती के आँसू
यह एक ग़ुर्बत की ज़िंदगी गुज़ारती वेश्या की कहानी है। उसके घर में अंधेरा है। ताक़ में रखी मोमबत्ती मोम को पिघलाती हुई जल रही है। उसकी छोटी बच्ची मोतियों का हार माँगती है तो वह फ़र्श पर जमे मोम को धागे में पिरो कर माला बनाकर उसके गले में पहना देती है। रात में उसका ग्राहक आता है। उससे अलग होने पर वह थक जाती है, तभी उसे अपनी बच्ची का ध्यान आता है और वह उसके छोटे पलंग के पास जाकर उसे अपनी बाँहों में भर लेती है।
सआदत हसन मंटो
लाला इमाम बख़्श
मोहर्रम में माँगी गई दुआ के सिले में पैदा हुए देवी प्रसाद बख़्श ने अपने बेटे का नाम लाला इमाम बख़्श रख दिया था। इमाम बख़्श देवी प्रसाद का इकलौता बेटा था, इसलिए उन्होंने उसे कभी कुछ नहीं कहा। उसके मन में जो आता वह करता फिरता। देवी प्रसाद की मौत के बाद उसने अपना सिक्का जमाना शुरू कर दिया। फिर गाँव वालों ने सलाह कर के उन्हें ज़मींदारी छोड़ने के एवज़ में प्रधानी सौंप दी। हालात ने तब करवट बदली जब गाँव के नज़दीक एक क़त्ल हो गया और उसके जुर्म में लाला इमाम बख़्श को गिरफ्तार कर लिया गया।
क़ाज़ी अबदुस्सत्तार
खुदकुशी का इक़दाम
"कहानी मुल्क की आर्थिक और क़ानूनी स्थिति की दुर्दशा पर आधारित है। इक़बाल भूखमरी और ग़रीबी से तंग आकर ख़ुदकुशी की कोशिश करता है जिसकी वजह से उसे क़ैद-ए-बा-मशक़्क़त की सज़ा सुनाई जाती है। अदालत में वो तंज़िया अंदाज़ में कहता है कि सिर्फ़ इतनी सज़ा? मुझे तो ज़िंदगी से निजात चाहिए। इस मुल्क ने ग़रीबी ख़त्म करने का कोई रास्ता नहीं निकाला तो ताज़ीरात में मेरे लिए क्या क़ानून होगा?"
सआदत हसन मंटो
गर्म लहू में ग़ल्ताँ
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी है, जो एक हत्या का गवाह था। उसने शादी में जब पहली बार उस औरत को देखा था तो वह उसे पहचान नहीं सका था। मगर ध्यान से देखने पर उसे याद आया कि वह औरत एक बार उनके घर आई थी। अकेले में उसने बड़े भाई से बात की थी और फिर रात के अँधेरे में बड़े भाई ने एक बैग में रखी लाश को ठिकाने लगाने के लिए कुछ लोगों को दिया था। उसने यह सब कुछ अपनी आँखों से देखा था, मगर वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सका था।
क़ाज़ी अबदुस्सत्तार
तुम मेरे हो
यह सायरा नाम की एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो शादीशुदा होने के बावजूद अपने चचाज़ाद भाई जमील से मोहब्बत करने लगती है। जमील भी उसे चाहता है। जब उसकी इस चाहता का रिश्तेदारों को पता चलता है तो वे जमील की शादी कर देने के बारे में सोचते हैं। सायरा के कारण जमील शादी करने से इंकार कर देता है और शहर छोड़कर चला जाता है। जमील के जाने बाद सायरा उसकी जुदाई में तड़पकर मर जाती है।
मजनूँ गोरखपुरी
गिलगित ख़ान
यह होटल में काम करने वाले एक बहुत बदसूरत नौकर की कहानी है। उसकी बदसूरती के कारण उसका मालिक उसे पसंद करता है और न ही वहाँ आने वाले ग्राहक। मगर अपनी मेहनत और शिष्टाचार से वह सभी का लोकप्रिय बन जाता है। अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए वह मालिक की नापसंदगी के बावजूद एक कुत्ते का पिल्ला पाल लेता है। बड़ा होने पर कुत्ते को पेट की कोई बीमारी हो जाती है, तो उसे ठीक करने के लिए गिलगित ख़ान चोरी से अपने मालिक का बटेर मारकर कुत्ते को खिला देता है।
सआदत हसन मंटो
मम्मद भाई
यह आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई कहानी है। मम्मद भाई बंबई में अपने इलाके के ग़रीबों के खै़र-ख्वाह हैं। उन्हें पूरे इलाके़ की जानकारी होती है और जहाँ कोई ज़रूरत-मंद होता है उसकी मदद को पहुँच जाते हैं। किसी औरत के उकसाने पर मम्मद एक शख़्स का खू़न कर देता है। हालांकि उसका कोई चश्मदीद गवाह नहीं है तो भी उसकी मूँछों को देखते हुए लगता है कि अदालत उसे कोई सज़ा सुना सकती है। मम्मद भाई को सलाह दी जाती है कि वह अपनी मूँछें कटवा दें। मम्मद भाई मूँछें कटवा देता है, लेकिन फिर भी अदालत उसे सज़ा सुना देती है।
सआदत हसन मंटो
हरनाम कौर
अपने ज़माने में ताक़त और अपने बल के चलते मशहूर रहे एक सिख जट की कहानी। अब उसके पास केवल एक बेटा बहादुर सिंह है जिसकी परवरिश बीवी की मौत के बाद उसकी बहन ने की थी। मगर बहादुर सिंह में वह बात नहीं थी जो निहाल सिंह चाहता था। वह उसकी शादी को लेकर परेशान था। मगर बहादुर सिंह गाँव की किसी भी लड़की में दिलचस्पी ही नहीं लेता था। आख़िर में निहाल सिंह ने विभाजन के बाद पाकिस्तान जाने वाले काफ़िले से बहादुर सिंह के लिए एक लड़की लूट ली। उसने उसे बहादुर सिंह के कमरे में डाल कर दरवाज़ा बंद कर दिया। मगर जब उसने सुबह दरवाज़ा खोला तो सामने बहादुर सिंह सूट-सलवार पहने बैठा था और क़ाफ़िले वाली लड़की चारपाई के नीचे से निकल कर बाहर भाग गई।
सआदत हसन मंटो
झूटी कहानी
इस कहानी में एक काल्पनिक बदमाशों की अंजुमन के ज़रिये सियासतदानों पर गहरा तंज़ किया गया है। बदमाशों की अंजुमन क़ाएम होती है और बदमाश अख़बारों के ज़रिये अपने अधिकारों की माँग करते हैं तो उनकी रोक-थाम के लिए एक बड़े हाल में जलसा किया जाता है जिसमें सियासतदाँ और शहर के बड़े लोग बदमाशों की अंजुमन के ख़िलाफ़ तक़रीरें करते हैं। आख़िर में पिछली पंक्ति से अंजुमन का एक नुमाइंदा खड़ा होता है और ग़ालिब के अश्आर की मदद से अपनी दिलचस्प तक़रीर से सियासतदानों पर तंज़ करता है और उनकी कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता है।
सआदत हसन मंटो
चोर
यह एक क़र्ज़़दार शराबी व्यक्ति की कहानी है। वह शराब के नशे में होता है, जब उसे अपने क़र्ज़़ और उनके वसूलने वालों का ख़याल आता है। वह सोचता है कि उसे अगर कहीं से पैसे मिल जाएँ तो वह अपना क़र्ज़़ उतार दे। हालाँकि किसी ज़माने में वह उच्च श्रेणी का तकनीशियन था और अब वह क़र्ज़़दार था। जब क़र्ज़़ उतारने की उसे कोई सूरत नज़र नहीं आई तो उसने चोरी करने की सोची। चोरी के इरादे से वह दो घरों में गया भी, मगर वहाँ भी उसके साथ कुछ ऐसा हुआ कि वह चाहकर भी चोरी नहीं कर सका। फिर एक दिन उसे एक व्यक्ति पचास हज़ार रूपये दे गया। उन रूपयों से जब उसने अपने एक क़र्ज़दार को कुछ रूपये देने चाहे तो तकिये के नीचे से रूपयों का लिफ़ाफ़ा ग़ायब था।
सआदत हसन मंटो
उसका एक हाथ कटा हुआ था
कहानी एक ऐसे होटल के गिर्द घूमती है, जिसमें एक विशेष तारीख़ की रात को एक औरत का बहुत दर्दनाक ढंग से क़त्ल हो जाता है। उसके बाद से होटल वाले हर साल उस विशेष तारीख़ को होटल ख़ाली कर के चले जाते हैं, क्योंकि उनका वहम था कि उस औरत का भूत अपना इंतिक़ाम लेने के लिए वहाँ आता है। मगर इत्तेफ़ाक़ से उस विशेष तारीख़ को उस होटल में दो फ़ौजी ठहरे तो उन्होंने उस औरत और उसके क़त्ल की पूरी हक़ीक़त सामने रख दी।
हिजाब इम्तियाज़ अली
नफ़सियात शनास
यह कहानी एक ऐसे शख़्स की है जो अपने घरेलू नौकर पर मनोवैज्ञानिक अध्ययन करता है। उसके यहाँ पहले दो सगे भाई नौकर हुआ करते थे। उनमें से एक बहुत चुस्त था तो दूसरा बहुत सुस्त। उसने सुस्त नौकर को हटाकर उसकी जगह एक नया नौकर रख लिया। वह बहुत होशियार और पहले वाले से भी ज़्यादा चुस्त और फुर्तीला था। उसकी चुस्ती और फ़ुर्ती इतनी ज़्यादा थी कि कभी-कभी वह उसके काम करने की तेज़ी को देख कर झुंझला जाता था। उसका एक दोस्त उस नौकर की बड़ी तारीफ़ किया करता था। इससे प्रभावित हो कर एक रोज़ उसने नौकर की गतिविधियों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन करने की ठानी और फिर...
सआदत हसन मंटो
मिलावट
यह एक ईमानदार और साफ़ तबीयत के आदमी की कहानी है। उसने अपनी ज़िंदगी में कभी धोखा-धड़ी नहीं की थी। वह अपनी ज़िंदगी से ख़ुश था। उसने शादी करने की सोची मगर शादी में उसके साथ धोखा हुआ। इसके बाद वह जहाँ भी गया उसके साथ धोखा ही होता रहा। फिर उसने भी लोगों को धोखा देने की ठान ली। आख़िर में ज़िंदगी से तंग आकर उसने मरने की सोची और आत्महत्या के लिए उसने जो ज़हर ख़रीदा, उसमें भी मिलावट थी, जिसकी वजह से वह बच गया।
सआदत हसन मंटो
मौज दीन
यह कहानी धार्मिक समानता होने के बावजूद समाज में व्याप्त सांस्कृतिक विभाजन को बहुत ही साफ़गोई से बयान करती है। मौजदीन एक बंगाली युवक है, जो मदरसे में शिक्षा प्राप्त करने के लिए लाहौर आया हुआ है। वहाँ से उसे चंदा इक्ट्ठा करने के लिए कश्मीर भेज दिया जाता है। जब उसे पता चलता है कि कश्मीर में जंग होने वाली है तो वह भी उसमें शामिल होने के लिए वापस लौट जाने से इंकार कर देता है। वह मदरसे के प्रमुख को बांग्ला भाषा में एक ख़त लिखता है, जिसे ख़ुफ़िया विभाग के लोग कोड भाषा समझ कर उसे जासूसी के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार कर लेते हैं। गिरफ़्तारी के दौरान उसे इतना टॉर्चर किया जाता है कि वह जेल में ही फाँसी लगाकर मर जाता है।
सआदत हसन मंटो
इज़्ज़त के लिए
चवन्नी लाल को बड़े आदमियों से ताल्लुक़ पैदा करने में एक अजीब तरह का सुकून मिलता था। उसका घर भी हर क़िस्म की तफ़रीह और सुविधा के लिए हर वक़्त खुला रहता था। हरबंस एक बड़े अफ़सर का बेटा था। फ़सादात के दिनों में उसने चवन्नी लाल की बहन रूपा का बलात्कार किया था, जब खू़न बहना बंद नहीं हुआ तो उसने चवन्नी लाल से मदद मांगी। चवन्नी लाल ने अपनी बहन को देखा लेकिन उस पर बेहिसी तारी रही और यह सोचने में मसरूफ़ रहा कि किस तरह एक बड़े आदमी की इज़्ज़त बचाई जाए। उसके बरअक्स हरबंस पर जूनून तारी हो जाता है और वह चवन्नी लाल को गोली मार देता है। अख़बारों में ख़बर छपती है कि चवन्नी लाल ने अपनी बहन से मुंह काला करने के बाद खुद्कुशी कर ली।
सआदत हसन मंटो
बाग़ी
यह कहानी एक रेलवे स्टेशन, उसके मास्टर और टिकट बाबू के गिर्द घूमती है। स्टेशन मास्टर का मानना है कि पूरे हिंदुस्तान में हर चीज़ एक दूसरे से जुड़ी हुई है। बहुत कम लोग ही इस रिश्ते को देख पाते हैं और इसकी क़द्र करते हैं। मगर जो लोग इस रिश्ते से इनकार करते हैं वे बागी हैं। स्टेशन मास्टर के अनुसार इन रिश्तों को जोड़े रखने में आम के बाग़ मुख्य भूमिका निभाते हैं। अगर कहीं आम के बाग़ नहीं हैं तो वह इलाक़ा और वहाँ के लोग सिरे से हिंदुस्तानी ही नहीं है। किसी भी शख़्स को हिंदुस्तानी होने के लिए यहाँ की संस्कृति में आम के बाग़ की अहमियत को समझना ही होगा।
मोहम्मद मुजीब
मज्जू भय्या
कहानी एक ऐसे शख़्स की दास्तान बयान करती है जिसका बाप पंडित आनंद सहाय ताल्लुक़दार का नौकर था। इकलौता होने पर भी बाप उसे रो‘अब-दाब में रखता था, बाप के मरते ही उसके पर निकल आए और वह पहलवानी के दंगल में कूद पड़ा। पहलवान के दंगल से निकला तो गाँव की सियासत में रम गया और यहाँ उसने ऐसे-ऐसे कारनामे अंजाम दिए कि अपनी एक अलग जागीर बना ली। मगर इस दौरान उससे मोहब्बत और नफ़रत करने वाले बहुत से औरत-मर्द हो गए, जिन्हें वह मौक़ा मिलते ही एक-एक कर अपने रास्ते से हटाता चला गया।