ओवर कोट
एक खू़बसूसरत नौजवान सर्दियों की एक सर्द माल रोड़ की सड़कों पर टहल रहा है। जितना वह खु़द खू़बसूरत है उतना है उसका ओवर कोट भी है। ओवर कोट की जेब में हाथ डाले वह सड़कों पर टहल रहा है और एक के बाद दूसरी दुकानों पर जाता रहता है। अचानक एक लारी उसे टक्कर मारकर चली जाती है। कुछ लोग उसे अस्पताल ले जाते हैं। अस्पताल में दो नर्स इलाज के दौरान जब उसके कपड़े उतारती हैं तो ओवर कोट के अंदर का उस नौजवान का हाल देखकर इस क़द्र अवाक रह जाती है कि उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता।
ग़ुलाम अब्बास
एक ख़त
यह कहानी लेखक के व्यक्तिगत जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाओं को बयान करती है। एक दोस्त के ख़त के जवाब में लिखे गए उस पत्र में लेखक ने अपने व्यक्तिगत जीवन के कई राज़ों से पर्दा उठाया है। साथ ही अपनी उस नाकाम मोहब्बत का भी ज़िक्र किया है जो उसे कश्मीर प्रवास के दौरान वज़ीर नाम की लड़की से हो गई थी।
सआदत हसन मंटो
बाँझ
आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई कहानी। बंबई के अपोलो-बंदर पर टहलते हुए एक दिन उस शख्स से मुलाकात हुई। मुलाक़ात के दौरान ही मोहब्बत पर गुफ़्तुगू होने लगी है। आप चाहे किसी से भी मोहब्बत कीजिए, मोहब्बत मोहब्बत ही होती है। वह किसी बच्चे की तरह पैदा होती है और हमल की तरह गिर भी जाती है। यानी पैदा होने से पहले ही मर भी सकती है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चाहकर भी मोहब्बत नहीं कर पाते हैं और ऐसे लोग बाँझ होते हैं।
सआदत हसन मंटो
इश्क़िया कहानी
यह इश्क़़ में गिरफ़्तार हो जाने की ख़्वाहिश रखने वाले एक ऐसे नौजवान जमील की कहानी है जो चाहता है कि वह किसी लड़की के इश्क़ में बुरी तरह गिरफ़्तार हो जाए और फिर उससे शादी कर ले। इसके लिए वह बहुत सी लड़कियों का चयन करता है। उनसे मिलने, उन्हें ख़त लिखने की योजनाएं बनाता है, लेकिन अपनी किसी भी योजना पर वह अमल नहीं कर पाता। आख़िर में उसकी शादी तय हो जाती है, और विदाई की तारीख़ भी निर्धारित हो जाती है। उसी रात उसकी ख़ाला-ज़ाद बहन आत्महत्या कर लेती है, जो जमील के इश्क़़ में बुरी तरह गिरफ़्तार होती है।
सआदत हसन मंटो
शहज़ादा
एक के बाद एक कई लड़के सुधा को नापसंद कर के चले गए तो उसे कोई मलाल नहीं हुआ। मगर जब मोती ने उसे नापसंद किया तो उसने उसके इंकार में छुपी हुई हाँ को पहचान लिया और वह उस से मोहब्बत करने लगी। एक ख़याली मोहब्बत। जिसमें वह उसका शहज़ादा था। इसी ख़्याल में उसने अपनी पूरी उम्र तन्हा गुज़ार दी। मगर एक रोज़ उसे तब ज़बरदस्त झटका लगा जब मोती हक़ीक़त में उसके सामने आ खड़ा हुआ।
कृष्ण चंदर
चौदहवीं का चाँद
प्राकृतिक दृश्यों का प्रेमी विल्सन की कहानी है जो एक बैंक में मैनेजर था। विल्सन एक बार जज़ीरे पर आया तो चौदहवीं के चाँद ने उसे इतना मंत्रमुग्ध और हैरान किया कि उसने सारी ज़िंदगी वहीं बसने का इरादा कर लिया और बैंक की नौकरी छोड़कर स्थायी रूप से वहीं रहने लगा, लेकिन जब कर्ज़दारों ने परेशान करना शुरू किया तो उसने एक दिन अपने झोंपड़े में आग लगा ली, जिसकी वजह से वह मानसिक रूप से सुन्न हो गया और कुछ दिनों बाद चौदहवीं का चाँद देख कर ही वह मर गया।
सआदत हसन मंटो
सितारों से आगे
कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े एक छात्र समूह की कहानी, जो रात के अँधेरे में एक गाँव के लिए सफ़र कर रहा होता है। सभी साथी एक बैलगाड़ी में बैठे हैं और समूह का एक साथी महिया गा रहा है और दूसरे लोग उसे सुन रहे हैं। बीच-बीच में कोई टोक देता है और कोई उसका जवाब देने लगता है। मगर दिए जाने वाले ये जवाब, महज़ जवाब नहीं हैं बल्कि उनके एहसासात भी उसमें शामिल हैं।
क़ुर्रतुलऐन हैदर
बस स्टैंड
मर्द के दोहरे रवैय्ये और औरत की मासूमियत को इस कहानी में बयान किया गया है। सलमा एक अविवाहित लड़की है और शाहिदा उसकी शादी-शुदा सहेली। एक दिन सलमा शाहिदा के घर जाती है तो शाहिदा अपने शौहर की शराफ़त और अमीरी की प्रशंसा बढ़ा-चढ़ा कर करती है। जब सलमा अपने घर वापस जाती है तो रास्ते में उसे एक आदमी ज़बरदस्ती अपनी कार में बिठाता है और अपनी जिन्सी भूख मिटाता है। संयोग से सलमा उस आदमी का बटुवा खोल कर देखती है तो पता चलता है कि वो शाहिदा का शौहर है।
सआदत हसन मंटो
चोर
यह एक क़र्ज़़दार शराबी व्यक्ति की कहानी है। वह शराब के नशे में होता है, जब उसे अपने क़र्ज़़ और उनके वसूलने वालों का ख़याल आता है। वह सोचता है कि उसे अगर कहीं से पैसे मिल जाएँ तो वह अपना क़र्ज़़ उतार दे। हालाँकि किसी ज़माने में वह उच्च श्रेणी का तकनीशियन था और अब वह क़र्ज़़दार था। जब क़र्ज़़ उतारने की उसे कोई सूरत नज़र नहीं आई तो उसने चोरी करने की सोची। चोरी के इरादे से वह दो घरों में गया भी, मगर वहाँ भी उसके साथ कुछ ऐसा हुआ कि वह चाहकर भी चोरी नहीं कर सका। फिर एक दिन उसे एक व्यक्ति पचास हज़ार रूपये दे गया। उन रूपयों से जब उसने अपने एक क़र्ज़दार को कुछ रूपये देने चाहे तो तकिये के नीचे से रूपयों का लिफ़ाफ़ा ग़ायब था।
सआदत हसन मंटो
उसके बग़ैर
यह एक ऐसी लड़की की कहानी है जो बहार के मौसम में तन्हा बैठी अपने पहले प्यार को याद कर रही है। उन दिनों उसकी बहन के बहुत से चाहने वाले थे मगर उसका कोई प्रेमी नहीं था। और इसी बात का उसे अफ़सोस था। अचानक उसकी ज़िंदगी में आनंद आ गया और उसने उसकी पूरी ज़िंदगी ही बदल दी। उन्होंने मिलकर एक ट्रिप का प्लान बनाया। उस सफ़र में उन दोनों के साथ कुछ ऐसे हादसे हुए जिनकी वजह से वह उस सफ़र को कभी नहीं भूला सकी।
अहमद अली
मौसम की शरारत
यह एक ऐसे नौजवान की कहानी है, जो कश्मीर घूमने गया है। सुबह की सैर के वक़्त वह वहाँ के आकर्षक दृश्य को देखता है और उसमें खोया हुआ चलता चला जाता है। तभी उसे कुछ भैंसो, गायों और बकरियों को लिए आती एक चरवाहे की लड़की दिखाई देती है। वह उसे इतनी ख़ूबसूरत नज़र आती है कि उसे उससे मोहब्बत हो जाती है। लड़की भी घर जाते हुए तीन बार उसे मुड़कर देखती है। कुछ देर उसके घर के पास खड़े रहने के दौरान बारिश होने लगती है, और जब तक वह डाक बंगले पर पहुँचता है तब तक वह पूरी तरह भीग जाता है।
सआदत हसन मंटो
बलवंत सिंह मजेठिया
यह एक रूमानी कहानी है। शाह साहब काबुल में एक बड़े व्यापारी थे, वो एक लड़की पर मुग्ध हो गए। अपने दोस्त बलवंत सिंह मजीठिया के मशवरे से मंत्र पढ़े हुए फूल सूँघा कर उसे राम किया लेकिन दुल्हन के कमरे में दाख़िल होते ही दुल्हन मर गई और उसके हाथ में विभिन्न रंग के वही सात फूल थे जिन्हें शाह साहब ने मंत्र पढ़ कर सूँघाया था।
सआदत हसन मंटो
आँखें
यह मुग़लिया सल्तनत के बादशाह जहाँगीर के इर्द-गिर्द घूमती कहानी है। मुग़लिया सल्तनत, उसकी राजनीति, बादशाहों की महफ़िल और उन महफ़िलों में मिलने आने वालों का ताँता। उन्हें मिलने आने वालों के ज़रिए जहाँगीर एक ऐसी लड़की से मिलते हैं जिसकी आँखों को वह कभी भूल नहीं पाते। साइमा बेगम की आँखें। वो आँखें ऐसी हैं कि देखने वाले के दिमाग़ में पैवस्त हो जाती हैं और उसके दिमाग़ पर हर वक़्त उन्हीं का तसव्वुर छाया रहता है।
क़ाज़ी अबदुस्सत्तार
दूदा पहलवान
एक नौकर की अपने मालिक के प्रति वफ़ादारी इस कहानी का विषय है। सलाहू ने अपने लकड़पन के समय से ही दूदे पहलवान को अपने साथ रख लिया था। बाप की मौत के बाद सलाहू खुल गया था और हीरा मंडी की तवायफ़ों के बीच अपनी ज़िंदगी गुज़ारने लगा था। एक तवायफ़ की बेटी पर वह ऐसा आशिक़ हुआ कि उसका दिवाला ही निकल गया। घर को कुर्क होने से बचाने के लिए उसे बीस हज़ार रूपयों की ज़रूरत थी, जो उसे कहीं से न मिले। आख़िर में दूदे पहलवान ने ही अपना आत्म-सम्मान बेचकर उसके लिए पैसों का इंतेज़ाम किया।
सआदत हसन मंटो
दूसरा किनारा
तीन मज़दूर-पेशा भाईयों के जद्द-ओ-जहद की कहानी है, जिसमें बाप अपने बेटों की नफ़्सियात को समझ नहीं पाता है। सुंदर, सोहना और रुजू अपने बाप के साथ बेकरी में काम करते थे। उनका गाँव खाड़ी के एक किनारे पर था और दूसरा किनारा उनको बहुत ख़ुशनुमा और दिलफ़रेब मालूम होता था। जब सुंदर के बचपन का दोस्त इल्म-उद-दीन तहसीलदार बन कर आया तो सुंदर ने भी तहसीलदार बनने की ठानी और दूसरे किनारे चला गया। सोहना ने भी दूसरे किनारे जाने की कोशिश की लेकिन बाप ने मार पीट कर उसे रोक लिया और एक दिन उसने ख़ुदकुशी कर ली, फिर बाप भी मर गया। एक दिन सुंदर झुर्रियों भरा चेहरा लेकर वापस आया तो वो ख़ून थूक रहा था। रुजू को उसने नसीहत की कि वो दूसरे किनारे की कभी ख़्वाहिश न करे।
राजिंदर सिंह बेदी
कोट पतलून
आर्थिक तंगी से जूझ रहे एक ऐसे आदमी की कहानी जिसे 'नैतिक' और 'अनैतिक' की दुविधा खुल खेलने का मौक़ा नहीं देती। नाज़िम एक ऐसी बिल्डिंग में रहता है जहाँ एक औरत की पसंदीदगी का स्तर 'कोट-पतलून' है। क़र्ज़ बढ़ने की वजह से उसे अपना कोट-पतलून बेचना पड़ता है और बिल्डिंग ख़ाली करनी पड़ती है। नाज़िम जिस दिन मकान छोड़कर जा रहा होता है तो वह देखता है कि ज़ुबैदा की निगाहों का मर्कज़ एक और नौजवान है जो कोट-पतलून पहने हुए है।
सआदत हसन मंटो
खुद फ़रेब
यह दो दोस्तों की कहानी है, जो हर वक़्त ख़ूबसूरत औरतों और लड़कियों के बारे में बातें करते रहते हैं। वे उनसे अपने संबंधों की डींग हाँकते हैं। मगर दोनों में कोई भी अपनी पसंद की औरत से एक-दूसरे को मिलवाता नहीं है। हाँ, उन औरतों के साथ अपने संबंधों को सच्चा साबित करने के लिए ख़ुद फ़रेब करते रहते हैं।