इबादत पर शेर

अयादत होती जाती है इबादत होती जाती है

मिरे मरने की देखो सब को आदत होती जाती है

मीना कुमारी नाज़

मैं सर-ब-सज्दा सकूँ में नहीं सफ़र में हूँ

जबीं पे दाग़ नहीं आबला बना हुआ है

शाहिद ज़की

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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