मिस्टर मोईनुद्दीन
सामाजिक रसूख़ और साख के गिर्द घूमती यह कहानी मोईन-नामी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर आधारित है। मोईन ने ज़ोहरा से उसके माँ-बाप के ख़िलाफ़ जाकर शादी की थी और फिर कराची में आ बसा था। कराची में उसकी बीवी का एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ सम्बंध हो जाता है। मोईन इस बारे में जानता है लेकिन अपनी मोहब्बत और सामाजिक साख के कारण वह बीवी को तलाक नहीं देता और उसे प्रेमी के साथ रहने की अनुमति दे देता है। कुछ अरसे बाद जब प्रेमी की मौत हो जाती है तो मोईन भी उसे तलाक दे देता है।
सआदत हसन मंटो
माई जनते
इस कहानी में घर में काम करने वाली आया का मालिकों का विश्वास जीतने, उनका शुभ चिंतक बनने और फिर उस विश्वास का दुरूपयोग करने के दोहरे चरित्र को उजागर किया गया है। ख़्वाज़ा करीम बख़्श की मौत के बाद उनकी विधवा हमीदा ने अपनी दो बेटियों की सारी ज़िम्मेदारी माई जनते को दे दी थी। वही लड़कियों के सारे काम किया करती थी। उन्हें कॉलेज ले जाती और लाती। जब उनमें से एक लड़की की शादी हुई तो निकाह के बाद पता चला कि वह उनकी लड़कियों से धंधा भी करवाती थी।