मुसलसल ग़ज़लें पर शेर

ग़ज़ल विभिन्न विषयों पर

एक साथ बात करने के लिए जानी जाती है। हर शेर अपने आप में आज़ाद होता है। लेकिन कुछ ग़ज़लें इस तरह कही जाती हैं जिन का हर शेर पिछले शेर के मानी में इज़ाफ़ा करता है। ऐसी ग़ज़लों को मुसलसल ग़ज़ल कहते हैं। यहाँ ऐसी ही चुनिंदा ग़ज़लें जमा की गई हैं, पढ़िए और लुत्फ़ लीजिए।

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं

सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं

अहमद फ़राज़

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए