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रद करें डाउनलोड शेर

नशा पर चित्र/छाया शायरी

नशा पर शायरी मौज़ूआती

तौर पर बहुत मुतनव्वे है। इस में नशा की हालत के तजुर्बात और कैफ़ियतों का बयान भी है और नशा को लेकर ज़ाहिद-ओ-नासेह से रिवायती छेड़-छाड़ भी। इस शायरी में मय-कशों के लिए भी कई दिल-चस्प पहलू हैं। हमारे इस इन्तिख़ाब को पढ़िए और उठाइए। आगरा शहरों को मौज़ू बना कर शायरों ने बहुत से शेर कहे हैं, तवील नज़्में भी लिखी हैं और शेर भी। इस शायरी की ख़ास बात ये है कि इस में शहरों की आम चलती फिर्ती ज़िंदगी और ज़ाहिरी चहल पहल से परे कहीं अंदरून में छुपी हुई वो कहानियाँ क़ैद हो गई हैं जो आम तौर पर नज़र नहीं आतीं और शहर बिलकुल एक नई आब ताब के साथ नज़र आने लगते हैं। आगरा पर ये शेरी इन्तिख़ाब आपको यक़ीनन इस आगरा से मुतआरिफ़ कराएगा जो वक़्त की गर्द में कहीं खो गया है।

चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय

न तुम होश में हो न हम होश में हैं

चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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