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रद करें डाउनलोड शेर

दुविधा पर कहानियाँ

शाह दूले का चूहा

मज़हब के नाम पर गोरख धंधा करने वालों की कहानी है। शाह दूले के मज़ार के बारे में यह अक़ीदा राइज कर दिया गया था कि यहाँ मन्नत मानने के बाद अगर बच्चा होता है तो पहला बच्चा शाह दूले का चूहा है और उस बच्चे को मज़ार पर छोड़ना ज़रूरी है। सलीमा को अपना पहला बच्चा मुजीब इसी अक़ीदे से मज़ार पर छोड़ना पड़ा, लेकिन वह उसका ग़म अपने सीने से लगाये रही। एक मुद्दत के बाद जब मुजीब उसके दरवाज़े पर शाह दूल्हे का चूहा बन कर आता है तो सलीमा उसे तुरंत पहचान लेती है और तमाशा दिखाने वाले से पाँच सौ के बदले उसे ले लेती है, लेकिन जब वह पैसे देकर वापस अंदर आती है तो मुजीब ग़ायब हो चुका होता है।

सआदत हसन मंटो

लकड़बग्घा हँसा

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

आख़री बन-बास

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

औलाद

ये औलाद न होने के दुख में पागल हो गई एक औरत की कहानी है। ज़ुबैदा की शादी के बाद ही उसके बाप की मौत हो गई तो वह अपनी माँ को अपने घर ले आई। माँ-बेटी एक साथ रहने लगीं तो माँ को इस बात की चिंता हुई कि उसकी बेटी को अभी तक बच्चा क्यों नहीं हुआ। बच्चे के लिए माँ ने बेटी का हर तरह का इलाज कराया, पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। माँ दिन-रात उसे औलाद न होने के ताने देती रहती है तो उसका दिमाग़़ चल जाता है और हर तरफ़ उसे बच्चे ही नज़र आने लगते हैं। उसके इस पागलपन को देखकर उसका शौहर एक नवजात शिशु को उसकी गोद में लाकर डाल देता है। जब उसके लिए उसकी छातियों से दूध नहीं उतरता है तो वह उस्तरे से अपनी छातियों को काटती जिससे उसकी मौत हो जाती है।

सआदत हसन मंटो

तरक़्क़ी पसंद

तंज़-ओ-मिज़ाह के अंदाज़ में लिखी गई यह कहानी तरक्क़ी-पसंद अफ़साना-निगारों पर भी चोट करता है। जोगिंदर सिंह एक तरक्क़ी-पसंद कहानी-कार है जिसके यहाँ हरेंद्र सिंह आकर डेरा डाल देता है और निरंतर अपनी कहानियाँ सुना कर बोर करता रहता है। एक दिन अचानक जोगिंदर सिंह को एहसास होता है कि वो अपनी बीवी की हक़-तल्फ़ी कर रहा है। इसी ख़्याल से वो हरेंद्र से बाहर जाने का बहाना करके बीवी से रात बारह बजे आने का वादा करता है। लेकिन जब रात में जोगिंदर अपने घर के दरवाज़े पर दस्तक देता है तो उसकी बीवी के बजाय हरेंद्र दरवाज़ा खोलता है और कहता है जल्दी आ गए, आओ, अभी एक कहानी मुकम्मल की है, इसे सुनो।

सआदत हसन मंटो

लकड़बग्घा रोया

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

बादशाहत का ख़ात्मा

"सौन्दर्य व आकर्षण के इच्छुक एक ऐसे बेरोज़गार नौजवान की कहानी है जिसकी ज़िंदगी का अधिकतर हिस्सा फ़ुटपाथ पर रात बसर करते हुए गुज़रा था। संयोगवश वो एक दोस्त के ऑफ़िस में कुछ दिनों के लिए ठहरता है जहां एक लड़की का फ़ोन आता है और उनकी बातचीत लगातार होने लगती है। मोहन को लड़की की आवाज़ से इश्क़ है इसलिए उसने कभी उसका नाम, पता या फ़ोन नंबर जानने की ज़हमत नहीं की। दफ़्तर छूट जाने की वजह से उसकी जो 'बादशाहत' ख़त्म होने वाली थी उसका विचार उसे सदमे में मुब्तला कर देता है और एक दिन जब शाम के वक़्त टेलीफ़ोन की घंटी बजती है तो उसके मुँह से ख़ून के बुलबुले फूट रहे होते हैं।"

सआदत हसन मंटो

चोर

यह एक क़र्ज़़दार शराबी व्यक्ति की कहानी है। वह शराब के नशे में होता है, जब उसे अपने क़र्ज़़ और उनके वसूलने वालों का ख़याल आता है। वह सोचता है कि उसे अगर कहीं से पैसे मिल जाएँ तो वह अपना क़र्ज़़ उतार दे। हालाँकि किसी ज़माने में वह उच्च श्रेणी का तकनीशियन था और अब वह क़र्ज़़दार था। जब क़र्ज़़ उतारने की उसे कोई सूरत नज़र नहीं आई तो उसने चोरी करने की सोची। चोरी के इरादे से वह दो घरों में गया भी, मगर वहाँ भी उसके साथ कुछ ऐसा हुआ कि वह चाहकर भी चोरी नहीं कर सका। फिर एक दिन उसे एक व्यक्ति पचास हज़ार रूपये दे गया। उन रूपयों से जब उसने अपने एक क़र्ज़दार को कुछ रूपये देने चाहे तो तकिये के नीचे से रूपयों का लिफ़ाफ़ा ग़ायब था।

सआदत हसन मंटो

क़दीम मा'बदों का मुहाफ़िज़

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

इज़्ज़त के लिए

चवन्नी लाल को बड़े आदमियों से ताल्लुक़ पैदा करने में एक अजीब तरह का सुकून मिलता था। उसका घर भी हर क़िस्म की तफ़रीह और सुविधा के लिए हर वक़्त खुला रहता था। हरबंस एक बड़े अफ़सर का बेटा था। फ़सादात के दिनों में उसने चवन्नी लाल की बहन रूपा का बलात्कार किया था, जब खू़न बहना बंद नहीं हुआ तो उसने चवन्नी लाल से मदद मांगी। चवन्नी लाल ने अपनी बहन को देखा लेकिन उस पर बेहिसी तारी रही और यह सोचने में मसरूफ़ रहा कि किस तरह एक बड़े आदमी की इज़्ज़त बचाई जाए। उसके बरअक्स हरबंस पर जूनून तारी हो जाता है और वह चवन्नी लाल को गोली मार देता है। अख़बारों में ख़बर छपती है कि चवन्नी लाल ने अपनी बहन से मुंह काला करने के बाद खुद्कुशी कर ली।

सआदत हसन मंटो

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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