aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

तजरबा पर शेर

ज़ख़्म लगा कर उस का भी कुछ हाथ खुला

मैं भी धोका खा कर कुछ चालाक हुआ

ज़ेब ग़ौरी

हमारी राह से पत्थर उठा कर फेंक मत देना

लगी हैं ठोकरें तब जा के चलना सीख पाए हैं

नफ़स अम्बालवी

भले ही लाख हवालों के साथ कहते हैं

मगर वो सिर्फ़ किताबों की बात कहते हैं

सदा अम्बालवी

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए