कतबा
शरीफ़ हुसैन एक तीसरे दर्ज का क्लर्क है। उन दिनों उसकी बीवी मायके गई हुई होती है जब वह एक दिन शहर के बाज़ार जा पहुंचता है और वहाँ न चाहते हुए भी एक संग-मरमर का टुकड़ा ख़रीद लेता है। टुकड़ा बहुत खू़बसूरत है। एक रोज़ वह संग-तराश के पास जाकर उस पर अपना नाम खुदवा लेता है और सोचता है कि जब उसकी तरक़्क़ी हो जाएगी तो वह अपना घर ख़रीद लेगा और इस नेम प्लेट को उसके बाहर लगाएगा। सारी ज़िंदगी गुज़र जाती है लेकिन उसकी यह ख़्वाहिश कभी पूरी नहीं होती। आख़िर में यही कत्बा उसका बेटा उसकी क़ब्र पर लगवा देता है।
ग़ुलाम अब्बास
नंगी आवाज़ें
"इस कहानी में शहरी ज़िंदगी के मसाइल को उजागर किया गया है। भोलू एक मज़दूर पेशा आदमी है। जिस बिल्डिंग में वो रहता है उसमें सारे लोग रात में गर्मी से बचने के लिए छत पर टाट के पर्दे लगा कर सोते हैं। उन पर्दों के पीछे से आने वाली मुख्तलिफ़ आवाज़ें उसके अंदर जिन्सी हैजान पैदा करती हैं और वो शादी कर लेता है। लेकिन शादी की पहली ही रात उसे महसूस होता है कि पूरी बिल्डिंग के लोग उसे देख रहे हैं। इसी उधेड़ बुन में वो बीवी की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाता और जब बीवी की ये बात उस तक पहुँचती है कि उसके अंदर कुछ कमी है तो उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और फिर वो जहाँ टाट का पर्दा देखता है उखाड़ना शुरू कर देता है।"
सआदत हसन मंटो
बहरूपिया
हर पल रूप बदलते रहने वाले एक बहरूपिये की कहानी, जिसमें उसका अपना असली रूप कहीं खोकर रह गया है। वह हफ़्ते में एक-दो बार मोहल्ले में आया करता था। देखने में काफ़ी आकर्षक था और हर किसी से मज़ाक़ किया करता था। एक दिन एक छोटे लड़के ने उसे देखा तो वह उससे ख़ासा प्रभावित हुआ और फिर अपने दोस्त को साथ लेकर वे उसका पीछा करता हुआ, उसके असली रूप की तलाश में निकल पड़ा।
ग़ुलाम अब्बास
इश्क़-ए-हक़ीक़ी
अख़्लाक़ नामी नौजवान को सिनेमा हाल में परवीन नाम की एक लड़की से इश्क़ हो जाता है जिसके घर में सख़्त पाबंदियाँ हैं। अख़्लाक़ हिम्मत नहीं हारता और उन दोनों में ख़त-ओ-किताबत शुरू हो जाती है और फिर एक दिन परवीन अख़्लाक़ के साथ चली आती है। परवीन के गाल के तिल पर बोसा लेने के लिए अख़्लाक़ जब आगे बढ़ता है तो बदबू का एक तेज़ भभका अख़्लाक़ के नथुनों से टकराता है और तब उसे मालूम होता है कि परवीन के मसूढ़े सड़े हुए हैं। अख़्लाक़ उसे छोड़कर अपने दोस्त के यहाँ लायलपुर चला जाता है। दोस्त के गै़रत दिलाने पर वापस आता है तो परवीन को मौजूद नहीं पाता है।
सआदत हसन मंटो
ये परी चेहरा लोग
हर इंसान अपने स्वभाव और चरित्र से जाना जाता है। सख़्त मिज़ाज बेगम बिल्क़ीस तुराब अली एक दिन माली से बाग़ीचे की सफ़ाई करवा रही थी कि वह मेहतरानी और उसकी बेटी की बातचीत सुन लेती है। बातचीत में माँ-बेटी बेगमों के असल नाम न लेकर उन्हें तरह-तरह के नामों से बुलाती हैं। यह सुनकर बिल्क़ीस बानो उन दोनों को अपने पास बुलाती हैं। वह उन सब नामों के असली नाम पूछती है और जानना चाहती हैं कि उन्होंने उसका नाम क्या रखा है? मेहतरानी उसके सामने तो मना कर देती है लेकिन उसने बेगम बिल्कीस का जो नाम रखा होता है वह अपने शौहर के सामने ले देती है।
ग़ुलाम अब्बास
मेरा नाम राधा है
"ये कहानी औरत की इच्छा शक्ति को पेश करती है। राज किशोर के रवय्ये और बनावटी व्यक्तित्व से नीलम परिचित है, इसीलिए फ़िल्म स्टूडियो के हर फ़र्द की ज़बान से तारीफ़ सुनने के बावजूद वो उससे प्रभावित नहीं होती। एक रोज़ सख़्त लहजे में बहन कहने से भी मना कर देती है और फिर आख़िरकार रक्षा बंधन के दिन आक्रोशित हो कर उसे बिल्लियों की तरह नोच डालती है।"
सआदत हसन मंटो
जानकी
जानकी एक ज़िंदा और जीवंत पात्र है जो पूना से बम्बई फ़िल्म में काम करने आती है। उसके अंदर ममता और ख़ुलूस का ठाठें मारता समुंदर है। अज़ीज़, सईद और नरायन, जिस व्यक्ति के भी नज़दीक होती है उसके साथ जिस्मानी ख़ुलूस बरतने में कोई तकल्लुफ़ महसूस नहीं करती। उसकी नफ़्सियाती पेचीदगियाँ कुछ इस तरह की हैं कि जिस वक़्त वह एक शख़्स से जिस्मानी रिश्तों में जुड़ती है, ठीक उसी वक़्त उसे दूसरे की बीमारी का भी ख़याल सताता रहता है। जिन्सी मैलानात का तज्ज़िया करती हुई यह एक उम्दा कहानी है।
सआदत हसन मंटो
दस रूपये
"यह एक ऐसी कमसिन लड़की की कहानी है जो अपनी उमड़ती हुई जवानी से अंजान थी। उसकी माँ उससे पेशा कराती थी और वो समझती थी कि हर लड़की को यही करना होता है। उसे दुनिया देखने और खुली फ़िज़ाओं में उड़ने का बेहद शौक़ था। एक दिन जब वो तीन नौजवानों के साथ मोटर में जाती है और अपनी मर्ज़ी के अनुसार ख़ूब तफ़रीह कर लेती है तो उसका दिल ख़ुशी से इतना उन्मत्त होता है कि वो उनके दिए हुए दस रुपये लौटा देती है और कहती है कि ये रुपये मैं किस लिए लूं।"
सआदत हसन मंटो
सौ कैंडल पॉवर का बल्ब
"इस कहानी में इंसान की स्वाभाविक और भावनात्मक पहलूओं को गिरफ़्त में लिया गया है जिनके तहत वो कर्म करते हैं। कहानी की केन्द्रीय पात्र एक वेश्या है जिसे इस बात से कोई सरोकार नहीं कि वो किस के साथ रात गुज़ारने जा रही है और उसे कितना मुआवज़ा मिलेगा बल्कि वो दलाल के इशारे पर कर्म करने और किसी तरह काम ख़त्म करने के बाद अपनी नींद पूरी करना चाहती है। आख़िर-कार तंग आकर अंजाम की परवाह किए बिना वो दलाल का ख़ून कर देती है और गहरी नींद सो जाती है।"
सआदत हसन मंटो
मम्मद भाई
यह आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई कहानी है। मम्मद भाई बंबई में अपने इलाके के ग़रीबों के खै़र-ख्वाह हैं। उन्हें पूरे इलाके़ की जानकारी होती है और जहाँ कोई ज़रूरत-मंद होता है उसकी मदद को पहुँच जाते हैं। किसी औरत के उकसाने पर मम्मद एक शख़्स का खू़न कर देता है। हालांकि उसका कोई चश्मदीद गवाह नहीं है तो भी उसकी मूँछों को देखते हुए लगता है कि अदालत उसे कोई सज़ा सुना सकती है। मम्मद भाई को सलाह दी जाती है कि वह अपनी मूँछें कटवा दें। मम्मद भाई मूँछें कटवा देता है, लेकिन फिर भी अदालत उसे सज़ा सुना देती है।
सआदत हसन मंटो
सितारों से आगे
कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े एक छात्र समूह की कहानी, जो रात के अँधेरे में एक गाँव के लिए सफ़र कर रहा होता है। सभी साथी एक बैलगाड़ी में बैठे हैं और समूह का एक साथी महिया गा रहा है और दूसरे लोग उसे सुन रहे हैं। बीच-बीच में कोई टोक देता है और कोई उसका जवाब देने लगता है। मगर दिए जाने वाले ये जवाब, महज़ जवाब नहीं हैं बल्कि उनके एहसासात भी उसमें शामिल हैं।
क़ुर्रतुलऐन हैदर
शारदा
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो तवायफ़़ को तवायफ़़ की तरह ही रखना चाहता है। जब कोई तवायफ़ उसकी बीवी बनने की कोशिश करती तो वह उसे छोड़ देता। पहले तो वह शारदा की छोटी बहन से मिला था, पर जब उसकी शारदा से मुलाक़ात हुई तो वह उसे भूल गया। शारदा एक बच्चे की माँ है और देखने में ठीक-ठाक लगती है। बिस्तर में उसे शारदा में ऐसी लज्ज़त महसूस होती है कि वह उसे कभी भूल नहीं पाता। शारदा अपने घर लौट जाती है, तो वह उसे दोबारा बुला लेता है। इस बार घर आकर जब शारदा बीवी की तरह उसकी देखभाल करने लगती है तो वो उससे उक्ता जाता है और उसे वापस भेज देता है।
सआदत हसन मंटो
सेराज
यह एक ऐसी नौजवान वेश्या की कहानी है, जो किसी भी ग्राहक को ख़ुद को हाथ नहीं लगाने देती। हालाँकि जब उसका दलाल उसका सौदा किसी से करता है, तो वह ख़ुशी-ख़ुशी उसके साथ चली जाती है, लेकिन जैसे ही ग्राहक उसे कहीं हाथ लगाता है कि अचानक वह उससे झगड़ने लगती है। दलाल उसकी इस हरकत से बहुत परेशान रहता है, पर वह उसे ख़ुद से अलग भी नहीं कर पाता है, क्योंकि वह उससे मोहब्बत करने लगा है। एक दिन वह दलाल को लेकर लाहौर चली जाती है। वहाँ वह उस नौजवान से मिलती है, जो उसे घर से भगाकर एक सराय में अकेला छोड़ गया था।
सआदत हसन मंटो
तीन में ना तेरह में
यह कहानी पति-पत्नी के बीच होने वाली तकरार पर आधारित है। पत्नी अपने पति से नाराज़़ है और उसके साथ झगड़ा करते हुए वह मुहावरों का इस्तेमाल करती है। पति उसके हर मुहावरे का जवाब देता है और वे दोनों झगड़ते हुए औरत-मर्द के संबंध, शादी और घरेलू ज़रूरियात के बारे में बड़ी दिलचस्प गुफ़्तगू करते जाते हैं।
सआदत हसन मंटो
हामिद का बच्चा
हामिद नाम के एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो मौज-मस्ती के लिए एक वेश्या के पास जाता रहता है। पर जल्दी ही उसे पता चलता है कि वह वेश्या उससे गर्भवती हो गई है। इस ख़बर को सुनकर हामिद डर जाता है। वह वेश्या को उसके गाँव छोड़ आता है। उसके बाद वह योजना बनाता है कि जैसे ही बच्चा पैदा होगा वह उसे दफ़न कर देगा। मगर बच्चे की पैदाइश के बाद जब वह उसे दफ़न करने गया तो उसने एक नज़र बच्चे को देखा। बच्चे की शक्ल हू-ब-हू उस वेश्या के दलाल से मिलती थी।
सआदत हसन मंटो
चोर
यह एक क़र्ज़़दार शराबी व्यक्ति की कहानी है। वह शराब के नशे में होता है, जब उसे अपने क़र्ज़़ और उनके वसूलने वालों का ख़याल आता है। वह सोचता है कि उसे अगर कहीं से पैसे मिल जाएँ तो वह अपना क़र्ज़़ उतार दे। हालाँकि किसी ज़माने में वह उच्च श्रेणी का तकनीशियन था और अब वह क़र्ज़़दार था। जब क़र्ज़़ उतारने की उसे कोई सूरत नज़र नहीं आई तो उसने चोरी करने की सोची। चोरी के इरादे से वह दो घरों में गया भी, मगर वहाँ भी उसके साथ कुछ ऐसा हुआ कि वह चाहकर भी चोरी नहीं कर सका। फिर एक दिन उसे एक व्यक्ति पचास हज़ार रूपये दे गया। उन रूपयों से जब उसने अपने एक क़र्ज़दार को कुछ रूपये देने चाहे तो तकिये के नीचे से रूपयों का लिफ़ाफ़ा ग़ायब था।
सआदत हसन मंटो
शान्ति
इस कहानी का विषय एक वेश्या है। कॉलेज के दिनों में वह एक नौजवान से मोहब्बत करती थी। जिसके साथ वह घर से भाग आई थी। मगर उस नौजवान ने उसे धोखा दिया और वह धंधा करने लगी थी। बंबई में एक रोज़ उसके पास एक ऐसा ग्राहक आता है, जिसे उसके शरीर से ज़्यादा उसकी कहानी में दिलचस्पी होती है। फिर जैसे-जैसे शांति की कहानी आगे बढ़ती है वह व्यक्ति उसमें डूबता जाता है और आख़िर में शांति से शादी कर लेता है।
सआदत हसन मंटो
गूँदनी
दोहरी ज़िंदगी जीते एक ऐसे शख़्स की कहानी जो चाहकर भी खुलकर अपने एहसासात का इज़हार नहीं कर पाता। मिर्ज़ा बिर्जीस का ख़ानदान किसी ज़माने में बहुत दौलतमंद था लेकिन इस वक़्त इस ख़ानदान की हालत दिगरगूँ है। इसके बावजूद मिर्ज़ा उसी शान-ओ-शौकत और ठाट-बाट के साथ रहने का ढोंग करता है। एक रोज़ बाज़ार में कुछ ख़रीदारी करते हुए भिखारी ने उससे खाना माँगा तो उसने उसे झिड़क दिया। मगर शाम को सिनेमा में एक फ़िल्म देखते हुए जब उसने एक बुढ़िया को भीख माँगते देखा तो वह रो दिया।
ग़ुलाम अब्बास
अब्जी डूडू
यह पति-पत्नी के बीच रात में शारीरिक संबंधों को लेकर होने वाली नोक-झोंक पर आधारित कहानी है। पति पत्नी के साथ सोना चाहता है, जबकि पत्नी उसे लगातार इनकार करती रहती है। उसके इनकार को इक़रार में बदलने के लिए पति उसे हर तरह का प्रलोभन देता है, पर वह मानती नहीं। आख़िर में वह अपना आख़िरी दाँव चलता है और उसी में पत्नी को पस्त कर देता है।
सआदत हसन मंटो
मिस्री की डली
मुंबई में लीक से बँधी बेजान और बेरंग ज़िंदगी गुज़ारते शख़्स की कहानी। एक रोज़़ लेटे-लेटे उसे अपनी बीती ज़िंदगी की कुछ घटनाओं की याद आती है। इन्हीं यादों में बेगू भी चली आती है। बेगू वह लड़की है जिससे वह अपने कश्मीर दौरे पर मिला था। वह उस से मोहब्बत करने लगा था। उन दिनों को याद करते हुए उसे इस बात का शिद्दत से एहसास होता है कि बेगू के साथ बिताए दिन उसकी ज़िंदगी के सब से हसीन दिन थे।
सआदत हसन मंटो
सौदा बेचने वाली
जमील और सुहैल नाम के दो दोस्तों की कहानी। जमील को एक पार्टी में जमीला नाम की लड़की से मोहब्बत हो जाती है। सुहैल को जमीला पसंद नहीं आती, पर वह अपने दोस्त की ख़ुशी की ख़ातिर मान जाता है। उधर जमीला की बड़ी बहन हमीदा भी जमील से मोहब्बत करती है। एक रोज़़ जमील जमीला को उसके घर से भगाकर सुहैल के यहाँ छोड़ जाता है। उसके पीछे सुहैल जमीला से शादी कर लेता है। वहाँ से मायूस होने पर जमील हमीदा से शादी कर लेता है। एक दिन जब वह एक पार्क में जमीला को देखता है तो वह उसे कोई सौदा बेचने वाली की तरह नज़र आती है।
सआदत हसन मंटो
रत्ती, माशा, तोला
ये एक प्रेम कहानी है। जमाल नाम के लड़के को एक लड़की से मोहब्बत हो जाती है। लड़की भी उससे मोहब्बत करती है, पर उसकी मोहब्बत बहुत नपी-तुली होती है। इसका कारण उसकी ज़िंदगी का मामूल (टाइम-टेबल) होता है, जिसके मुताबिक़ वह हर काम समय पर और नपी-तुली मात्रा में करने की पाबंद होती है। दूसरे कामों की तरह ही वह मोहब्बत को भी समय और उसके किए जाने की मात्रा में करने पर ही सहमत होती है। पर जब जमाल उससे अपनी जैसी चाहत की माँग करता है, तो उनकी शादी तलाक़़ के लिए कोर्ट तक पहुँच जाती है।
सआदत हसन मंटो
डॉक्टर शिरोडकर
यह बंबई स्थित एक स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की ज़िंदगी पर आधारित कहानी है। दो मंज़िलों में बना यह अस्पताल बंबई का सबसे मशहूर अस्पताल है। उसके अस्पताल में हर चीज़ गुणवत्ता में नंबर एक है। अस्पताल को समर्पित डॉक्टर एक तरह से अपनी ज़िंदगी को भूल ही गया है। उसके पास इतना भी वक़्त नहीं होता कि वह ठीक से सो भी सके। अस्पताल की नर्सें उसकी तन्हा ज़िंदगी को देखकर परेशान रहती हैं। तभी अस्पताल में एक लड़की एबॉर्शन करवाने आती है। वह डॉक्टर को इतनी भाती है कि डॉक्टर उस लड़की से शादी कर लेता है।
सआदत हसन मंटो
ख़ोरेश्ट
यह कहानी समाज के एक नाज़ुक पहलू को सामने लाता है। सरदार ज़ोरावर सिंह, सावक कापड़िया का लंगोटिया यार है। अपना अक्सर वक़्त उसके घर पर गुज़ारता है। दोस्त होने की वजह से उसकी बीवी ख़ुर्शीद से भी बे-तकल्लुफ़ी है। सरदार हर वक़्त ख़ुरशीद की आवाज़ की तारीफ़ करता है और उसके लिए मुनासिब स्टूडियो की तलाश में रहता है। अपने उन उपायों से वो ख़ुर्शीद को राम कर के उससे शादी कर लेता है।
सआदत हसन मंटो
रहमत-ए-खु़दा-वंदी के फूल
यह एक ऐसे शराबी शख़्स की कहानी है जो जितना बड़ा शराबी है, उतना ही बड़ा कंजूस है। वह दोस्तों के साथ शराब पीने से बचता है, क्योंकि इससे उसे ज़्यादा रूपये ख़र्च करने पड़ते हैं। लेकिन वह घर में भी नहीं पी सकता, क्योंकि इससे पत्नी के नाराज़़ हो जाने का डर रहता है। इस मुश्किल का हल वह कुछ इस तरह निकालता है कि पेट के दर्द का बहाना कर के दवाई की बोतल में शराब ले आता है और बीवी से हर पंद्रह मिनट के बाद एक ख़ुराक देने के लिए कहता है। इससे उसकी यह मुश्किल तो हल हो जाती है। मगर एक दूसरी मुश्किल उस वक़्त पैदा होती है जब एक रोज़ उसकी पत्नी पेट के दर्द के कारण उसी बोतल से तीन पैग पी लेती है।
सआदत हसन मंटो
वो कौन थी?
एक बहुत ही मज़हबी शख़्स और उसके ख़ानदान की कहानी है। उस शख़्स के दो घर हैं, एक में वह अपनी फ़ैमिली के साथ रहता है और दूसरा मकान ख़ाली पड़ा हुआ है। अपने ख़ाली मकान को किसी शरीफ़ और नेक शख़्स को किराए पर देना चाहता है। फिर एक दिन उस घर में एक औरत आकर रहने लगती है और वह शख़्स उसके पास जाने लगता है। इस बारे में जब उसकी बीवी और घर के लोगों को पता चलता है तो कहानी एक नया मोड़ लेती है और वो मज़हबी और दीनदार शख़्स अपने घर वालों की निगाहों में क़ाबिल-ए-नफ़रीन बन जाता है।
मिर्ज़ा अदीब
ख़ुशबूदार तेल
यह मालिक और घर में काम करने वाली नौकरानी के बीच चल रहे अवैध संबंधों पर आधारित कहानी है। दोनों मियाँ बीवी में किसी बात को लेकर कहा-सुनी हो जाती है। इसी कहा-सुनी में उसकी बीवी बताती है कि उसने नौकरानी को निकाल दिया है। जब वह इसका कारण पूछता है तो वह बताती है कि उसके सिर में से भी उसी तेल की ख़ुश्बू आती थी जो उसके मियाँ के सिर में से आ रही है।
सआदत हसन मंटो
बारिदा शिमाली
प्रतीकों के माध्यम से कही गई यह कहानी दो लड़कियों के गिर्द घूमती हैं। वे दोनों पक्की सहेलियाँ थीं। उन्होंने एक साथ ही अपने जीवन साथी भी चुने थे। दोनों की ज़िंदगी हँसी-ख़ुशी गुज़र रही थी कि अचानक उन्हें एहसास होने लगता है कि उनके जीवन साथी उनके लिए सही नहीं हैं। फिर एक इत्तिफ़ाक़़ के चलते उनके जीवन साथी एक-दूसरे से बदल जाते हैं। इस बदलाव के बाद उन्हें महसूस होता है कि अब वे सही जीवन साथी के साथ हैं।
सआदत हसन मंटो
नफ़सियात शनास
यह कहानी एक ऐसे शख़्स की है जो अपने घरेलू नौकर पर मनोवैज्ञानिक अध्ययन करता है। उसके यहाँ पहले दो सगे भाई नौकर हुआ करते थे। उनमें से एक बहुत चुस्त था तो दूसरा बहुत सुस्त। उसने सुस्त नौकर को हटाकर उसकी जगह एक नया नौकर रख लिया। वह बहुत होशियार और पहले वाले से भी ज़्यादा चुस्त और फुर्तीला था। उसकी चुस्ती और फ़ुर्ती इतनी ज़्यादा थी कि कभी-कभी वह उसके काम करने की तेज़ी को देख कर झुंझला जाता था। उसका एक दोस्त उस नौकर की बड़ी तारीफ़ किया करता था। इससे प्रभावित हो कर एक रोज़ उसने नौकर की गतिविधियों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन करने की ठानी और फिर...
सआदत हसन मंटो
मिस टीन वाला
यह एक मनोवैज्ञानिक मरीज़़ के मानसिक उलझाव और परेशानियों पर आधारित कहानी है। ज़ैदी साहब एक शिक्षित व्यक्ति हैं और बंबई में रहते हैं। पिछले कुछ दिनों से वह एक बिल्ले की अपने घर में आमद-ओ-रफ़्त से परेशान हैं। वह बिल्ला इतना ढीट है कि डराने, धमकाने या फिर मारने के बाद भी टस से मस नहीं होता। खाने के बाद भी वह उसी तरह अकड़ के साथ ज़ैदी साहब को घूरता हुआ घर से बाहर चला जाता है। उसके इस रवय्ये से ज़ैदी साहब इतने परेशान होते हैं कि वह दोस्त लेखक से मिलने चले आते हैं। वह अपने दोस्त की अपनी स्थिति और उस बिल्ले की हठधर्मी की पूरी दास्तान सुनाते हैं तो फिर लेखक के याद दिलाने पर उन्हें याद आता है कि बचपन में स्कूल के बाहर मिस टीन वाला आया करता था, जो मि. ज़ैदी पर आशिक़ था। वह भी उस बिल्ले की ही तरह ठीट, अकड़ वाला और हर मार-पीट से बे-असर रहा करता था।
सआदत हसन मंटो
मिस्टर मोईनुद्दीन
सामाजिक रसूख़ और साख के गिर्द घूमती यह कहानी मोईन-नामी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर आधारित है। मोईन ने ज़ोहरा से उसके माँ-बाप के ख़िलाफ़ जाकर शादी की थी और फिर कराची में आ बसा था। कराची में उसकी बीवी का एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ सम्बंध हो जाता है। मोईन इस बारे में जानता है लेकिन अपनी मोहब्बत और सामाजिक साख के कारण वह बीवी को तलाक नहीं देता और उसे प्रेमी के साथ रहने की अनुमति दे देता है। कुछ अरसे बाद जब प्रेमी की मौत हो जाती है तो मोईन भी उसे तलाक दे देता है।
सआदत हसन मंटो
मिसेज़ गुल
एक ऐसी औरत की ज़िंदगी पर आधारित कहानी है जिसे लोगों को तिल-तिल कर के मारने में मज़ा आता है। मिसेज़ गुल एक अधेड़ उम्र की औरत थी। उसकी तीन शादियाँ हो चुकी थीं और अब वह चौथी की तैयारियाँ कर रही थी। उसका होने वाला पति एक नौजवान था। पर वह हर रोज़़ पीला पड़ता जा रहा था। उसके यहाँ की नौकरानी भी थोड़ा-थोड़ा करके घुलती जा रही थी। उन दोनों के मरज़ से जब पर्दा उठा तो पता चला कि मिसेज़ गुल उन्हें एक जानलेवा नशीली दवाई थोड़ा-थोड़ा करके रोज़़ पिला रही थीं।
सआदत हसन मंटो
मजीद का माज़ी
ऐश-ओ-आराम में ज़िंदगी बसर करते हुए अपने अतीत को याद करने वाले एक अमीर शख़्स की कहानी है। वह अब बहुत अमीर है। उसके पास कोठी है, अच्छी तनख़्वाह है, बीवी-बच्चे हैं और हर तरह का आराम नसीब है। इन सब के बीच उसकी शांति न जाने कहाँ खो गई है। वह शांति जो उसे यह सब हासिल होने से पहले थी जब उसकी तनख़्वाह कम थी, बीवी-बच्चे नहीं थे, कारोबार था और न ही दूसरे झमेले। वह शांति से दो पैसे कमाता था और चैन से सोता था। अब सारे ऐश-ओ-आराम के बाद भी उसे वह शांति नसीब नहीं है।