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कली कली में निहाँ हिचकिचाहटें पहचान

नज़ीर तबस्सुम

कली कली में निहाँ हिचकिचाहटें पहचान

नज़ीर तबस्सुम

MORE BYनज़ीर तबस्सुम

    कली कली में निहाँ हिचकिचाहटें पहचान

    तू शाख़-ए-गुल पे गुल-ए-नौ की आहटें पहचान

    लहू की आँख से पढ़ मेरे ज़ब्त की तहरीर

    लबों पे लफ़्ज़ गिन कपकपाहटें पहचान

    मैं पंखुड़ी की तरह अपने होंट वा कर दूँ

    तू तितलियों की तरह गुनगुनाहटें पहचान

    महाज़ खोल दिया है तो गहरी नींद सो

    हवा के भेस में हैं संसनाहटें पहचान

    ये झूटे नग हैं मगर हुस्न से तराशे हैं

    तू जौहरी है अगर जगमगाहटे पहचान

    वो काला साँप है तुझ को नज़र आएगा

    तू झाड़ियों में छुपी सरसराहटें पहचान

    'नज़ीर' लोग तो चेहरे बदलते रहते हैं

    तू इतना सादा बन मुस्कुराहटें पहचान

    स्रोत :
    • पुस्तक : Pakistani Adab (पृष्ठ 707)
    • रचनाकार : Dr. Rashid Amjad
    • प्रकाशन : Pakistan Academy of Letters, Islambad, Pakistan (2009)
    • संस्करण : 2009

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