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अहमद शहरयार

1983 | ईरान

ईरान स्थित प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर

ईरान स्थित प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर

अहमद शहरयार

ग़ज़ल 15

अशआर 15

अभी हमें गुज़ारनी है एक उम्र-ए-मुख़्तसर

मगर हमारी उम्र-ए-मुख़्तसर में कितनी देर है

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तुझ से भी कब हुई तदबीर मिरी वहशत की

तू भी मुट्ठी में कहाँ भेंच सका पानी को

दस्तकें सदा कौन दर पे आया है

फ़क़ीर-ए-शहर है या शहरयार देखिएगा

फ़क़ीर-ए-शहर भी रहा हूँ 'शहरयार' भी मगर

जो इत्मिनान फ़क़्र में है ताज-ओ-तख़्त में नहीं

समाई किस तरह मेरी आँखों की पुतलियों में

वो एक हैरत जो आईने से बहुत बड़ी थी

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