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अनीस अशफ़ाक़

1955 | लखनऊ, भारत

प्रसिद्ध कथाकार, शायर और आलोचक; लखनऊ की सभ्यता और सांस्कृतिक परिदृश्य पर उपन्यास लिखे

प्रसिद्ध कथाकार, शायर और आलोचक; लखनऊ की सभ्यता और सांस्कृतिक परिदृश्य पर उपन्यास लिखे

अनीस अशफ़ाक़

अशआर 12

इस पे हैराँ हैं ख़रीदार कि क़ीमत है बहुत

मेरे गौहर की तब-ओ-ताब नहीं देखते हैं

ये ख़ाना हमेशा से वीरान है

कहाँ कोई दिल के मकाँ में रहा

देखा है किसी आहू-ए-ख़ुश-चश्म को उस ने

आँखों में बहुत उस की चमक आई हुई है

हम तेरे आसमान में हर्फ़-ए-ए'तिबार

उड़ना तो चाहते हैं मगर पर कहाँ से लाएँ

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दस्तक पे अब घरों से कोई बोलता नहीं

पहले ये शहर शहर-ए-'अदम-रफ़्तगाँ था

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ग़ज़ल 29

नज़्म 1

 

पुस्तकें 23

वीडियो 5

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अनीस अशफ़ाक़

अनीस अशफ़ाक़

कब इश्क़ में यारों की पज़ीराई हुई है

अनीस अशफ़ाक़

रू-ए-गुल चेहरा-ए-महताब नहीं देखते हैं

अनीस अशफ़ाक़

हमेशा किसी इम्तिहाँ में रहा

अनीस अशफ़ाक़

ऑडियो 3

कब इश्क़ में यारों की पज़ीराई हुई है

रू-ए-गुल चेहरा-ए-महताब नहीं देखते हैं

हमेशा किसी इम्तिहाँ में रहा

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