अंजुम रूमानी
ग़ज़ल 16
नज़्म 1
अशआर 18
आज का झगड़ा आज चुका
कल की बातें कल पर टाल
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और कुछ दिन ख़राब हो लीजे
सूद अपना है इस ज़ियाँ में अभी
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किसी भी हाल में राज़ी नहीं है दिल हम से
हर इक तरह का ये काफ़िर बहाना रखता है
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रहे ज़रा दिल-ए-ख़ूँ-गश्ता पर नज़र 'अंजुम'
उसी सदफ़ से अजब क्या गुहर निकल आए
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