दिलावर फ़िगार के शेर
औरत को चाहिए कि अदालत का रुख़ करे
जब आदमी को सिर्फ़ ख़ुदा का ख़याल हो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वहाँ जो लोग अनाड़ी हैं वक़्त काटते हैं
यहाँ भी कुछ मुतशायर दिमाग़ चाटते हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आ के बज़्म-ए-शेर में शर्त-ए-वफ़ा पूरी तो कर
जितना खाना खा गया है उतनी मज़दूरी तो कर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
पायान-ए-कार ख़त्म हुआ जब ये तज्ज़िया
मैं ने कहा हुज़ूर तो बोले कि शुक्रिया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जूते के इंतिख़ाब को मस्जिद में जब गए
वो जूतियाँ पड़ीं कि ख़ुदा याद आ गया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कहीं गोली लिखा है और कहीं मार
ये गोलीमार लिक्खा जा रहा है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मुर्दमाँ बिसयार होंगे और जा-ए-क़ब्र तंग
क़ब्र की तक़्सीम पर मुर्दों में छिड़ जाएगी जंग
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ग़ज़ल चुरा के कभी ख़िदमत-ए-अदब कर ली
पकड़ गए तो वहीं माज़रत तलब कर ली
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सुना ये है कि वो सूफ़ी भी था वली भी था
अब इस के बा'द तो पैग़म्बरी का दर्जा है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सियाह ज़ुल्फ़ को जो बन-सँवर के देखते हैं
सफ़ेद बाल कहाँ अपने सर के देखते हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
एक रिवायत ये भी है वो ब्याह के क़ाबिल न था
वर्ना लैला को भगा लेना कोई मुश्किल न था
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कल चौदहवीं की रात थी आबाद था कमरा तिरा
होती रही धिन-ताक-धिन बजता रहा तबला तिरा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हमारा दोस्त तुफ़ैली भी है बड़ा शाएर
अगरचे एक बड़े आदमी का चमचा है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
एक अच्छा-ख़ासा मर्द ज़नाने में घुस पड़ा
गोया कि एक चोर ख़ज़ाने में घुस पड़ा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ग़ज़ल की शक्ल बदल दी है ऑपरेशन से
सुख़न-वरी है अगर ये तो सर्जरी क्या है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वस्ल की रात जो महबूब कहे गुड नाईट
क़ाएदा ये है कि इंग्लिश में दुआ दी जाए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये लिस्ट चोरों की वक़्ती ओ इत्तिफ़ाक़ी है
वरक़ तमाम हुआ और मदह बाक़ी है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इख़्तिलाज-ए-क़ल्ब की वाहिद दवा है आज कल
'बेकल-उत्साही' से सुनिए ऐ मिरी जान-ए-ग़ज़ल
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बस में बैठी है मिरे पास जो इक ज़ोहरा-जबीं
मर्द निकलेगी अगर ज़ुल्फ़ मुँडा दी जाए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इस लिए हम ने बनाया है ये मेनी-फ़ेस्टो
''मन तिरा अहमक़ बगोयम तू मुरा अहमक़ बगो''
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इस को कहते हैं ख़ुदा की देन ये होती है देन
अब सिवल-सर्जन बनेगा जानशीन-ए-तान-सेन
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मैं ने कहा कलाम-ए-'रविश' ला-जवाब है
कहने लगे कि उन का तरन्नुम ख़राब है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सिर्फ़ ज़िंदों ही को फ़िक्र-ए-ऐश-ओ-आसाइश नहीं
अब तो इस दुनिया में मुर्दों की भी गुंजाइश नहीं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मौत भी उस शख़्स तक आते हुए घबराएगी
जिस के सर पर नज़अ में डफ़ली बजाई जाएगी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़ुश-क़िस्मती से हम हैं सवार उस जहाज़ पर
साहिल पे जिस जहाज़ का कप्तान रह गया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
शायर थे बंद एक सिनेमा के हाल में
पंछी फँसे हुए थे शिकारी के जाल में
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कितने ग़ालिब थे जो पैदा हुए और मर भी गए
क़द्र-दानों को तख़ल्लुस की ख़बर होने तक
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मैं भी था हाज़िर बज़्म में जब तू ने देखा ही नहीं
मैं भी उठा कर चल दिया बिल्कुल नया जूता तिरा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इस का क्या होगा ये जो उनवान आधा रह गया
ये भी लेते जाएँ जो सामान आधा रह गया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सोचा था आदमी का क़सीदा लिखेंगे हम
मतला कहा ही था कि गधा याद आ गया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इक रिवायत ये भी है लैला की माँ थी बद-चलन
वो तो बनना चाहती थी ख़ुद ही मजनूँ की दुल्हन
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इग़वा ही करना था तो कोई कम थे लख-पति
किस ने कहा था रोड से कंगला उठाइए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़ुदी बुलंद हो बे-शक यही थी मेरी राय
ये कब कहा था कि क़व्वाल इस में हाथ लगाए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हर बात पर जो कहता रहा मैं बजा बजा
उस ने कहा कि यूँ ही मुसलसल बजा करो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क़ब्ज़ के मारे हुए बीमार को कर दो ख़बर
एक ठुमरी में है इत्रिफ़ल ज़मानी का असर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
यूँ भी इक दफ़्तर ने मुझ पे ख़ौफ़ तारी कर दिया
बिल रक़ीबों का था मेरे नाम जारी कर दिया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आप को मरना है तो पहले से नोटिस दीजिए
या'नी जुर्म-ए-इंतिक़ाल-ए-ना-गहाँ मत कीजिए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तुम्हारे घर में मैं कूदा ज़रूर हूँ लेकिन
विसाल-ओसाल की निय्यत से मैं नहीं आया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अफ़्सोस कि इक शख़्स को दिल देने से पहले
मटके की तरह ठोंक बजा कर नहीं देखा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जाँ देने को पहुँचे थे सभी तेरी गली में
भागे तो किसी ने भी पलट कर नहीं देखा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
नमाज़ ओ रोज़ा ओ हज ओ ज़कात कुछ न सही
शब-ए-बरात पटाख़ा तो छोड़ सकता हूँ
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इस सेठ का भेजा ज़रा जल्दी से निकालो
इक मीट फ्राई करो इक अण्डा उबालो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जल्दी में मुँह से लफ़्ज़ जमालो निकल गया
कहना ये चाहता था कि तुम मह-जमाल हो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सच बात तो यही है वो अब नेक हो कि बद
मुल्कों की सरहदों को नहीं मानते 'असद'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वहाँ रियाज़-ए-मुसलसल से काम चलता है
यहाँ गले के सहारे कलाम चलता है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हद हो गई कज-फ़हमी ओ आशुफ़्ता-सरी की
बुलबुल को बुरा कहता है कव्वा मिरे आगे
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बाक़ी ऐसे लोग भी रहमत हैं अपने दौर पर
जो करप्शन के लिए अनफिट हैं तिब्बी तौर पर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
नहीं करते हैं बे-रिश्वत लिए काम
यही है मजनूओं का आज दस्तूर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
लिखी है हाल-ए-दिल में हाए-हव्वज़
ये हाल-ए-ज़ार लिक्खा जा रहा है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड