फ़हीम जोगापुरी
ग़ज़ल 40
अशआर 14
रह गई है कुछ कमी तो क्या शिकायत है 'फहीम'
इस जहाँ में सब अधूरे हैं मुकम्मल कौन है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere