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ग़मगीन देहलवी

1753 - 1851

प्रतिष्ठित सूफी शायर जिनसे मिर्ज़ा ग़ालिब को श्रद्धा थी

प्रतिष्ठित सूफी शायर जिनसे मिर्ज़ा ग़ालिब को श्रद्धा थी

ग़मगीन देहलवी

ग़ज़ल 10

अशआर 9

जाम ले कर मुझ से वो कहता है अपने मुँह को फेर

रू-ब-रू यूँ तेरे मय पीने से शरमाते हैं हम

वो लुत्फ़ उठाएगा सफ़र का

आप-अपने में जो सफ़र करेगा

मेरी ये आरज़ू है वक़्त-ए-मर्ग

उस की आवाज़ कान में आवे

मुझे जो दोस्ती है उस को दुश्मनी मुझ से

इख़्तियार है उस का मेरा चारा है

हाथ से मेरे वो पीता नहीं मुद्दत से शराब

यारो क्या अपनी ख़ुशी मैं ने पिलाना छोड़ा

पुस्तकें 8

 

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aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

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