संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल26
शेर21
हास्य शायरी1
ई-पुस्तक3
चित्र शायरी 1
ऑडियो 1
वीडियो4
क़िस्सा14
तंज़-ओ-मज़ाह1
हरी चंद अख़्तर
ग़ज़ल 26
अशआर 21
जम्अ हैं सारे मुसाफ़िर ना-ख़ुदा-ए-दिल के पास
कश्ती-ए-हस्ती नज़र आती है अब साहिल के पास
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नेमतों को देखता है और हँस देता है दिल
महव-ए-हैरत हूँ कि आख़िर क्या है मेरे दिल के पास
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शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया
मिरी दुनिया में बंदे के ख़ुदा होने का वक़्त आया
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