Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Jamuna Parsad Rahi's Photo'

जमुना प्रसाद राही

अलीगढ़, भारत

जमुना प्रसाद राही

ग़ज़ल 15

अशआर 14

जो सुनते हैं कि तिरे शहर में दसहरा है

हम अपने घर में दिवाली सजाने लगते हैं

कच्ची दीवारें सदा-नोशी में कितनी ताक़ थीं

पत्थरों में चीख़ कर देखा तो अंदाज़ा हुआ

कश्तियाँ डूब रही हैं कोई साहिल लाओ

अपनी आँखें मिरी आँखों के मुक़ाबिल लाओ

गाँव से गुज़रेगा और मिट्टी के घर ले जाएगा

एक दिन दरिया सभी दीवार दर ले जाएगा

लौट भी आया तो सदियों की थकन लाएगा

सुब्ह का भूला हुआ शाम को घर आने तक

पुस्तकें 2

 

ऑडियो 11

कुछ तो सच्चाई के शहकार नज़र में आते

कश्तियाँ डूब रही हैं कोई साहिल लाओ

कोहसार-ए-तग़ाफ़ुल को सदा काट रही है

Recitation

"अलीगढ़" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here

बोलिए