जावेद सबा
ग़ज़ल 13
नज़्म 1
अशआर 20
वहशत का ये आलम कि पस-ए-चाक गरेबाँ
रंजिश है बहारों से उलझते हैं ख़िज़ाँ से
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वीडियो 4
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