जीना क़ुरैशी

ग़ज़ल 13

अशआर 4

ये नाद-ए-अली का अजब मो'जिज़ा था

सभी तीर पलटे कमानों की जानिब

तू मुख़िल जब से हुआ है मिरी तन्हाई में

ग़म-ए-यार मिरी ख़ुद से मुलाक़ात गई

  • शेयर कीजिए

मिरी बेबसी पे मुस्कुरा ये बजा कि मैं तिरी ख़ाक-ए-पा

जो हिला के रख दे फ़लक को भी वो असर है अब मिरी आह में

  • शेयर कीजिए

हर बार सुहूलत से मुझे भूलने वाले

इस बार कहीं मैं भी तुझे भूल जाऊँ

  • शेयर कीजिए

"इस्लामाबाद" के और शायर

Recitation

aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए