aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1951 - 2019 | कराची, पाकिस्तान
मशहूर पाकिस्तानी शायर और माहिर-ए-लेसानियात, पाकिस्तान उर्दू लुग़त बोर्ड से वाबस्ता रहे
आज-कल मेरे तसर्रुफ़ में नहीं है लेकिन
ज़िंदगी शहर में होगी कहीं दो चार के पास
इस सफ़र से कोई लौटा नहीं किस से पूछें
कैसी मंज़िल है जहान-ए-गुज़राँ से आगे
कश्मकश नाख़ुन-ओ-दंदाँ की थमे तो फिर मैं
गुल-ए-आईना से खींचूँ रग-ए-हैरानी को
कहीं ऐसा न हो दामन जला लो
हमारे आँसुओं पर ख़ाक डालो
मुझे दोराहे पे लाने वालों ने ये न सोचा
मैं छोड़ दूँगा ये रास्ता भी वो रास्ता भी
Angan Mein Samundar
1988
इस सफ़र से कोई लौटा नहीं किस से पूछें कैसी मंज़िल है जहान-ए-गुज़राँ से आगे
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