मीर मेहदी मजरूह
ग़ज़ल 20
अशआर 37
कुछ अर्ज़-ए-तमन्ना में शिकवा न सितम का था
मैं ने तो कहा क्या था और आप ने क्या जाना
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere