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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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मिर्ज़ा ग़ालिब

1797 - 1869 | दिल्ली, भारत

विश्व-साहित्य में उर्दू की सबसे बुलंद आवाज़। सबसे अधिक सुने-सुनाए जाने वाले महान शायर

विश्व-साहित्य में उर्दू की सबसे बुलंद आवाज़। सबसे अधिक सुने-सुनाए जाने वाले महान शायर

मिर्ज़ा ग़ालिब

ग़ज़ल 233

अशआर 380

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन

दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है

इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया

वर्ना हम भी आदमी थे काम के

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का

उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले

इस सादगी पे कौन मर जाए ख़ुदा

लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले

बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

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फ़रहत एहसास

फ़हद हुसैन

ज़िया मोहीउद्दीन

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zikr mera ba-badi bhi use manzur nahin

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा

आबरू क्या ख़ाक उस गुल की कि गुलशन में नहीं

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