aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1766 - 1855 | लखनऊ, भारत
अवध के नवाब, आसिफ-उद-दौला के ममेरे भाई, कई शायरों के संरक्षक
आश्ना कोई नज़र आता नहीं याँ ऐ 'हवस'
किस को मैं अपना अनीस-ए-कुंज-ए-तन्हाई करूँ
ज़ाहिद का दिल न ख़ातिर-ए-मय-ख़्वार तोड़िए
सौ बार तो ये कीजिए सौ बार तोड़िए
न पाया वक़्त ऐ ज़ाहिद कोई मैं ने इबादत का
शब-ए-हिज्राँ हुई आख़िर तो सुब्ह-ए-इंतिज़ार आई
रंग-ए-गुल-ए-शगुफ़्ता हूँ आब-ए-रुख़-ए-चमन हूँ मैं
शम-ए-हरम चराग़-ए-दैर क़श्क़ा-ए-बरहमन हूँ मैं
सुनता हूँ न कानों से न कुछ मुँह से हूँ बकता
ख़ाली है जगह महफ़िल-ए-तस्वीर में मेरी
दीवान-ए-हवस
Deewan-e-Hawas
Intekhab-e-Kalam-e-Hawas
1983
Intikhab Deewan-e-Hawas
इंतिख़ाब-ए-कलाम-ए-हवस
Laila Majnun-e-Hawas
Wa Laila Majnun-o-Banjara Nama-e-Nazeer Akbarabadi
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