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नासिर काज़मी

1925 - 1972 | लाहौर, पाकिस्तान

आधुनिक उर्दू ग़ज़ल के संस्थापकों में से एक। भारत के शहर अंबाला में पैदा हुए और पाकिस्तान चले गए जहाँ बटवारे के दुख दर्द उनकी शायरी का केंद्रीय विषय बन गए।

आधुनिक उर्दू ग़ज़ल के संस्थापकों में से एक। भारत के शहर अंबाला में पैदा हुए और पाकिस्तान चले गए जहाँ बटवारे के दुख दर्द उनकी शायरी का केंद्रीय विषय बन गए।

नासिर काज़मी

ग़ज़ल 111

अशआर 84

दिल धड़कने का सबब याद आया

वो तिरी याद थी अब याद आया

आज देखा है तुझ को देर के बअ'द

आज का दिन गुज़र जाए कहीं

दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद

महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी

वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का

जो पिछली रात से याद रहा है

आरज़ू है कि तू यहाँ आए

और फिर उम्र भर जाए कहीं

पुस्तकें 53

चित्र शायरी 32

वीडियो 54

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

नासिर काज़मी

गली गली मिरी याद बिछी है प्यारे रस्ता देख के चल

नासिर काज़मी

तू असीर-ए-बज़्म है हम-सुख़न तुझे ज़ौक़-ए-नाला-ए-नय नहीं

नासिर काज़मी

दयार-ए-दिल की रात में चराग़ सा जला गया

नासिर काज़मी

वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए

नासिर काज़मी

ऑडियो 58

अपनी धुन में रहता हूँ

अपनी धुन में रहता हूँ

अव्वलीं चाँद ने क्या बात सुझाई मुझ को

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