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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

साबिर वसीम के शेर

जाने किस की आस लगी है जाने किस को आना है

कोई रेल की सीटी सुन कर सोते से उठ जाता है

पहला पत्थर याद हमेशा रहता है

दुख से दिल आबाद हमेशा रहता है

ये उम्र भर का सफ़र है इसी सहारे पर

कि वो खड़ा है अभी दूसरे किनारे पर

ख़्वाब तुम्हारे आते हैं

नींद उड़ा ले जाते हैं

कैसा झूटा सहारा है ये दुख से आँख चुराने का

कोई किसी का हाल सुना कर अपना-आप छुपाता है

देखो ऐसा अजब मुसाफ़िर फिर कब लौट के आता है

दरिया उस को रस्ता दे कर आज तलक पछताता है

देखो ऐसा अजब मुसाफ़िर फिर कब लौट के आता है

दरिया उस को रस्ता दे कर आज तलक पछताता है

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Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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