aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1938 - 1993 | मध्य प्रदेश, भारत
गुल ग़ुंचे आफ़्ताब शफ़क़ चाँद कहकशाँ
ऐसी कोई भी चीज़ नहीं जिस में तू न हो
किसी को बे-सबब शोहरत नहीं मिलती है ऐ 'वाहिद'
उन्हीं के नाम हैं दुनिया में जिन के काम अच्छे हैं
आज़ाद तो बरसों से हैं अरबाब-ए-गुलिस्ताँ
आई न मगर ताक़त-ए-परवाज़ अभी तक
दिलों में ज़ख़्म होंटों पर तबस्सुम
उसी का नाम तो ज़िंदा-दिली है
है शाम-ए-अवध गेसू-ए-दिलदार का परतव
और सुब्ह-ए-बनारस है रुख़-ए-यार का परतव
Fikr-e-Nau
1984
Gul-e-Nao
Majmua-e-Ghazaliyat
1967
Gul-e-Nau
Wahid Premi: Shakhsiyyat Aur Fan
2016
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