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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

आब पर शेर

ख़ाक हूँ उड़ता हूँ सच है कि मैं आवारा-मिज़ाज

पानी होता भी तो सैलाब में देखा जाता

मुकेश आलम

मिल भी जाता जो कहीं आब-ए-बक़ा क्या करते

ज़िंदगी ख़ुद भी थी जीने की सज़ा क्या करते

तनवीर अहमद अल्वी

अजब करिश्मा दिखाया ब-यक क़लम उस ने

हवा चलाई समुंदर को नक़्श-ए-आब दिया

ज़ेब ग़ौरी

दोस्तो ढूँड के हम सा कोई प्यासा लाओ

हम तो आँसू भी जो पीते हैं तो पानी की तरह

वाली आसी

आज लब-ए-गुहर-फ़िशाँ आप ने वा नहीं किया

तज़्किरा-ए-ख़जिस्ता-ए-आब-ओ-हवा नहीं किया

जौन एलिया

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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