जानवर पर उद्धरण

मुसलमान हमेशा एक अमली क़ौम रहे हैं। वो किसी ऐसे जानवर को मुहब्बत से नहीं पालते जिसे ज़िब्ह कर के खा ना सकें।
-
टैग्ज़ : मुसलमानऔर 2 अन्य

जो शख़्स कुत्ते से भी न डरे उसकी वलदियत में शुब्हा है।
-
टैग्ज़ : कुत्ताऔर 1 अन्य

बंदर में हमें इसके इलावा और कोई ऐब नज़र नहीं आता कि वो इन्सान का जद्द-ए-आला है।
-
टैग्ज़ : बंदरऔर 3 अन्य

मुर्ग़ की आवाज़ उसकी जसामत से कम-अज़-कम सौ गुना ज़्यादा होती है। मेरा ख़्याल है कि अगर घोड़े की आवाज़ इसी मुनासिबत से होती तो तारीख़ी जंगों में तोप चलाने की ज़रूरत पेश न आती।
-
टैग्ज़ : जंगऔर 2 अन्य

उम्र-ए-तबीई तक तो सिर्फ़ कव्वे, कछुवे, गधे और वो जानवर पहुंचते हैं जिनका खाना शर्अ़न हराम है।
-
टैग्ज़ : मांसभक्षीऔर 2 अन्य