aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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इंक़िलाब पर चित्र/छाया शायरी

साहित्य का समाज से गहरा

रिश्ता है । साहित्य को समाज का आईना भी कहा गया है । इसलिए कहा जाता है कि शायरी अपनी प्रस्तुति में कितनी भी निराकार और काल्पनिक क्यों न हो उसके सामाजिक सरोकार से इंकार नहीं किया जा सकता । शायरी अपनी अभिव्यक्ति में समाज और सामाजिक सरोकारों से संवाद करती है और इसी संवाद के सहारे क्रांति और इंक़लाब की ज़ोर-दार आवाज़ बनती है । अपनी शायरी और रचनाओं के माध्यम से रचनाकारों ने हमेशा समाज में परिवर्तन के इतिहास को प्रभावित किया है और इंक़लाब को मुखर बनाने में मुख्य भूमिका निभाई है । असल में साहित्य ने हर ज़माने में ज़ुल्म,अत्याचार और अन्याय के विरोध में आवाज़ बनने की कोशिश की है और समाज को जगाने की चेष्टा भी । शायरी के माध्यम से समाज में आंतरिक जागरूकता लाने की कोशिश का नाम ही क्रांति और इंक़लाब है । क्रांति और इंक़लाब के जज़्बे को पैदा करने वाली चुनिंद शायरी का एक संकलन यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है आप इस को पढ़ते हुए अपने अंदर जोश-ओ-जुनून और वलवले को महसूस करेंगे ।

आबाद रहेंगे वीराने शादाब रहेंगी ज़ंजीरें

हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे

दस्तूर

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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