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ख्यातिप्राप्त पाकिस्तानी आलोचक, शोधकर्ता, शायर और कॉलम लेखक; ‘उर्दू अदब की तहरिकें’ और ‘उर्दू अफ़साने में देहात की पेशकश’ के अलावा दर्जनों अहम किताबों के लेखक; कई महत्वपूर्ण समाचारपत्र और साहित्यिक पत्रिकाओं को सम्पादकीय सहयोग दिया

ख्यातिप्राप्त पाकिस्तानी आलोचक, शोधकर्ता, शायर और कॉलम लेखक; ‘उर्दू अदब की तहरिकें’ और ‘उर्दू अफ़साने में देहात की पेशकश’ के अलावा दर्जनों अहम किताबों के लेखक; कई महत्वपूर्ण समाचारपत्र और साहित्यिक पत्रिकाओं को सम्पादकीय सहयोग दिया

अनवर सदीद

ग़ज़ल 21

नज़्म 2

 

अशआर 20

शिकवा किया ज़माने का तो उस ने ये कहा

जिस हाल में हो ज़िंदा रहो और ख़ुश रहो

खुली ज़बान तो ज़र्फ़ उन का हो गया ज़ाहिर

हज़ार भेद छुपा रक्खे थे ख़मोशी में

ख़ाक हूँ लेकिन सरापा नूर है मेरा वजूद

इस ज़मीं पर चाँद सूरज का नुमाइंदा हूँ मैं

जागती आँख से जो ख़्वाब था देखा 'अनवर'

उस की ताबीर मुझे दिल के जलाने से मिली

कोई भी पेचीदगी हाएल नहीं अनवर-'सदीद'

ज़िंदगी है सामने मंज़र-ब-मंज़र और मैं

पुस्तकें 29

"सरगोधा" के और शायर

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